केंद्र और राज्य सरकारें समय-समय पर देश की जनता के लिए कल्याणकारी योजनाएं लाती रहती हैं, जिनमें महिलाएं, बुजुर्ग, युवा, बेरोजगार और किसानों जैसे सभी वर्गों का ख्याल रखा जाता है। इन योजनाओं का उद्देश्य गरीब और पिछड़े तबकों के आर्थिक और सामाजिक हालात को सुधारना होता है। भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां 70 प्रतिशत से अधिक लोग खेती पर निर्भर हैं। इसी वजह से अधिकतर योजनाएं किसानों को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं। किसानों की मदद के लिए सरकार कई बार मुफ्त बिजली, सिंचाई के साधन और कर्ज माफी जैसी योजनाएं भी पेश करती है।
400 करोड़ 66 लाख रुपए का लोन माफ
किसानों के लिए दिवाली की खुशी दोगुनी हो गई है। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने झारखंड कृषि ऋण माफी योजना के तहत किसानों का 400 करोड़ 66 लाख रुपए का कर्ज माफ कर दिया है। इस घोषणा के बाद राज्य के करीब 1 लाख 76 हजार 977 किसानों को बड़ी राहत मिली है। यह लोन माफी योजना उन किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो कर्ज के बोझ तले दबे हुए थे।
लोन माफी का उद्देश्य
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि यह सिर्फ एक ऋण माफी योजना नहीं है, बल्कि यह किसानों के सम्मान का प्रतीक है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को आर्थिक तंगी से राहत दिलाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार किसानों का 2 लाख रुपये तक का कृषि ऋण माफ कर रही है, ताकि वे कर्ज के बोझ से मुक्त होकर अपनी कृषि गतिविधियों को बेहतर तरीके से कर सकें।
किसानों के लिए सरकार का संकल्प
हेमंत सोरेन ने कहा कि जब तक किसान खुशहाल और आत्मनिर्भर नहीं होंगे, तब तक राज्य और देश की तरक्की संभव नहीं है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे अपनी ताकत पहचानें और अपने अधिकारों के लिए एकजुट हों। यह योजना किसानों को उनके संघर्ष से बाहर निकालकर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
किसानों को सम्मान और राहत
यह योजना किसानों को आर्थिक मजबूती प्रदान करती है और उन्हें खेती के लिए प्रोत्साहित करती है। सरकार की इस योजना से किसानों के चेहरे पर मुस्कान लौट आई है और वे बिना किसी चिंता के अपनी फसल उगाने और देश के कृषि क्षेत्र को मजबूत करने में सक्षम होंगे।
झारखंड सरकार की यह लोन माफी योजना किसानों के लिए एक बड़ा दिवाली तोहफा है। इस पहल से न केवल किसानों को आर्थिक राहत मिलेगी, बल्कि यह उनके सम्मान और आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा देगी। किसानों के लिए यह योजना एक नई शुरुआत का संकेत है, जिससे वे अपने खेतों में और अधिक मेहनत और समर्पण से काम कर सकेंगे।