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UP में किसानों की सम्मान निधि पर रोक, अपात्र श्रेणी में डाले गए लोग, हो सकती है रिकवरी!

उत्तर प्रदेश में हजारों किसानों की पीएम किसान सम्मान निधि पर लगी रोक सरकार ने कई लाभार्थियों को अपात्र घोषित कर सूची से बाहर किया, अब रिकवरी की तलवार लटक रही है। क्या आपको भी वापस करनी पड़ सकती है अब तक की सारी रकम? जानिए पूरी लिस्ट, कारण और कैसे बचें इस कार्रवाई से पढ़ें पूरी रिपोर्ट!

By PMS News
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UP में किसानों की सम्मान निधि पर रोक, अपात्र श्रेणी में डाले गए लोग, हो सकती है रिकवरी!
UP में किसानों की सम्मान निधि पर रोक, अपात्र श्रेणी में डाले गए लोग, हो सकती है रिकवरी!

उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले में प्रधानमंत्री किसान सम्मान (PM-KISAN) के लाभार्थियों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। जिसमें जिले के 17 हजार किसानों की 20वीं क़िस्त को रोक दिया गया है। क्योंकि इन किसानों को अपात्र (ineligible) की कैटेगरी में डाला गया है। यह निर्णय आधार कार्ड से जुड़े सत्यापन के बाद लिया गया, जिसमें इनका डाटा शक के घेरे से देखा गया।

19वीं क़िस्त मिलने के बाद 20वीं पर क्यों लगी रोक

जिन किसानों को 19वीं क़िस्त मिल चुकी थी, उन्हें 20वीं क़िस्त न मिलने पर गहरी चिंता में डाल दिया गया है। क्योंकि जब किसानों ने कृषि विभाग (Agriculture Department) के आधिकारिक से संपर्क किया तो पता चला कि उनका नाम अपात्र की सूची में दर्ज हो चुका है। विभाग द्वारा आधार से डाटा मिलान करते समय संदेहास्पद जानकारी पाई गई, जिसके आधार पर इन किसानों को अगली क़िस्त से वंचित कर दिया गया।

2019 से चल रहा पंजीकरण, फिर भी हुए अपात्र

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 2019 में पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई थी। सत्यापन की कई प्रक्रियाओं के बाद लाभार्थियों की सूची तय की गई। खतौनी और आधार कार्ड के माध्यम से किसानों की पात्रता सुनिश्चित की गई। जिले के 4 लाख 52 हजार किसान 19वीं किस्त तक योजना के लाभार्थी रहे। लेकिन दो अगस्त 2025 को जारी हुई 20वीं किस्त में सिर्फ 4 लाख 35 हजार 45 किसानों को ही लाभ मिल पाया।

केन्द्र सरकार ने जारी किया अपात्रता संदेश

जिन किसानों की किस्त रोकी गई है, उन्हें केंद्र सरकार (Central Government) की ओर से मोबाइल पर मैसेज भेजकर सूचित किया गया है कि वे कृषि विभाग के कार्यालय से संपर्क करें। मैसेज में यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि वे अपात्र श्रेणी में हैं और आगे की जानकारी विभाग से प्राप्त करें।

किसानों में गुस्सा, लेकिन समाधान नहीं

किसानों ने कृषि विभाग को फोन कर जानकारी लेनी चाही, लेकिन उन्हें शासन स्तर से कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिल सका है। विभाग के अनुसार, शासन स्तर से पुष्टि के बाद ही 20वीं किस्त रोके जाने का सही कारण बताया जाएगा। जब तक यह जानकारी नहीं मिलती, तब तक किसान असमंजस में हैं। सोमवार शाम तक भी कई किसानों को यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि उन्हें अपात्र क्यों घोषित किया गया।

मई 2024 के बाद आवेदन करने वाले हुए शामिल?

सूत्रों की मानें तो मई 2024 के बाद आवेदन करने वाले किसानों का डाटा ही 20वीं किस्त के लिए चुना गया है। ऐसे में 2019 से पंजीकृत पुराने किसानों में से कई का डाटा स्क्रूटनी में फंस गया। इससे अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या योजना का डाटा अपडेट करने में कोई तकनीकी खामी (Technical glitch) सामने आई है?

चार हजार किसानों का डाटा वर्षों से अधर में

सुलतानपुर जिले के चार हजार किसान ऐसे भी हैं जिनका डाटा दो बार फीड हो गया है। ये किसान पिछले तीन साल से अधिक समय से विभाग के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अब तक समाधान नहीं हो पाया है। डीडी कृषि कार्यालय ने इस बाबत शासन को कई बार पत्र भेजा है और वेबसाइट पर संशोधन का विकल्प मांगा है, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला।

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आवेदन की वेबसाइट बंद, नए आवेदन ठप

इस बीच, योजना के नए लाभार्थियों के लिए एक और झटका यह है कि नए आवेदन की वेबसाइट पिछले एक माह से बंद है। इससे नए पात्र किसान योजना का लाभ लेने से वंचित हो रहे हैं। वेबसाइट के बंद होने की वजह से पहले से आवेदन कर चुके किसानों को भी अपने आवेदन की स्थिति की जानकारी नहीं मिल पा रही है। डीडी कृषि रामाश्रय यादव ने बताया कि वेबसाइट चालू होते ही नए आवेदन की प्रक्रिया शुरू होगी। साथ ही, 20वीं किस्त न पाने वाले किसानों को कारण भी बताया जाएगा।

तकनीकी समस्याओं और अपूर्ण सुधारों ने बढ़ाई किसानों की परेशानी

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना एक महत्वपूर्ण किसान-कल्याण योजना है, जिसका उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक सहायता देना है। लेकिन इस तरह की तकनीकी बाधाएं और अपूर्ण सुधार प्रणाली किसानों के बीच भ्रम और असंतोष को जन्म देती हैं।

जहां एक ओर लाखों किसानों को हर वर्ष ₹6000 की सहायता राशि मिल रही है, वहीं दूसरी ओर हजारों किसान सरकारी तंत्र की खामियों के कारण अपने वाजिब हक से वंचित रह जा रहे हैं।

अब यह देखना होगा कि सरकार और कृषि विभाग इस संकट का समाधान कितनी तेजी से कर पाते हैं, जिससे वंचित किसानों को जल्द से जल्द राहत मिले।

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