
देश के सभी कृषक भाइयों की जानकारी के लिए बता दे कि कृषि भूमि की बिक्री से जुड़े आयकर नियमों में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। जिन बदलाव का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कृषि भूमि की बिक्री पर टैक्स कैसे लगेगा, यह भूमि की स्थिति (ग्रामीण या शहरी) और बिक्री की अवधि (लंबी या छोटी) पर निर्भर करेगा। साथ ही ये बदलाव उन किसानों और निवेशकों के लिए खास हैं, जो कृषि भूमि बेचने की योजना बना रहे हैं। यह जानना जरूरी है कि इन नए नियमों के तहत किस प्रकार की भूमि पर टैक्स लगेगा और कौन से हालत में टैक्स में छूट मिल सकती है।
ग्रामीण कृषि भूमि पर टैक्स की स्थिति
भारत में ग्रामीण कृषि भूमि को आयकर अधिनियम के तहत पूंजी गत संपत्ति नहीं माना जाता है। इसका मतलब यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि की बिक्री पर पूंजी गत लाभ कर (Capital Gains Tax) नहीं लगेगा। हलांकि यह तभी लागू होगा जब भूमि का उपयोग सामान्य रुप से कृषि कार्यों के लिए किया जा रहा हो। यदि कोई व्यक्ति भूमि को व्यापार के रूप में खरीदता और बेचता है, तो यह व्यावसायिक आय मानी जाएगी, और उस पर टैक्स लगेगा।
अगर आप अपनी भूमि बेचने का निर्णय लेते हैं, तो आपको अपनी आय को ITR (Income Tax Return) में Schedule EI के तहत रिपोर्ट करना होगा। हालांकि, चूंकि यह आय करमुक्त रहेगी, इसमें कोई टैक्स नहीं लगेगा।
शहरी कृषि भूमि पर टैक्स की स्थिति
इसके विपरीत, शहरी कृषि भूमि को ‘पूंजीगत संपत्ति’ माना जाता है। यदि इस भूमि को दो साल से अधिक समय तक रखा गया हो, तो इसे लंबी अवधि के पूंजी गत लाभ (LTCG) के तहत माना जाएगा और इस पर 12.5% टैक्स लगेगा। अगर इसे दो साल से कम समय तक रखा गया हो, तो यह शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) के तहत टैक्स के स्लैब रेट के अनुसार टैक्स योग्य होगा।
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शहरी कृषि भूमि की बिक्री से होने वाले लाभ पर टैक्स में छूट प्राप्त करने के लिए कुछ विकल्प भी हैं। यदि आप बिक्री से प्राप्त लाभ को अगले दो वर्षों में अन्य कृषि भूमि में निवेश करते हैं, तो धारा 54B के तहत आपको टैक्स में छूट मिल सकती है। हालांकि, यदि यह निवेश नहीं किया जाता है, तो आपको पूंजी गत लाभ कर देना होगा। इसके अलावा, शहरी कृषि भूमि की बिक्री से संबंधित आय को ITR में Schedule CG के तहत दिखाना जरूरी होगा।
टैक्स छूट और नियम
भारत में कृषि भूमि की बिक्री से टैक्स में छूट पाने के लिए कुछ खास आयकर धारा के बारे में जानना जरूरी है। इनमें से प्रमुख हैं-
- धारा 54B: अगर आप शहरी कृषि भूमि बेचते हैं और बिक्री से प्राप्त लाभ को अगले दो वर्षों में अन्य कृषि भूमि में निवेश करते हैं, तो आपको टैक्स में छूट मिल सकती है। यदि निवेश नहीं किया जाता, तो आपको पूंजीगत लाभ कर देना होगा।
- धारा 54EC: अगर आप बिक्री से प्राप्त लाभ को छह महीने के भीतर सरकार द्वारा अनुमोदित बांड्स में निवेश करते हैं, तो टैक्स में छूट मिल सकती है।
- धारा 54F: यदि आप अन्य संपत्ति बेचते हैं और बिक्री से प्राप्त लाभ को एक साल के भीतर एक आवासीय संपत्ति में निवेश करते हैं, तो टैक्स में छूट मिल सकती है।
अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
इसके अलावा, कुछ और महत्वपूर्ण कर नियम भी हैं जिन्हें ध्यान में रखना जरूरी है। जैसे कि, यदि कृषि भूमि की बिक्री मूल्य ₹50 लाख से अधिक है, तो 1% TDS (Tax Deducted at Source) लागू होगा। हालांकि, कृषि भूमि की बिक्री पर TDS लागू नहीं होता है।
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इसके अलावा, एकल लेन-देन में ₹2 लाख से अधिक की राशि नकद में स्वीकार नहीं की जा सकती। यह नियम मुख्य रूप से काले धन को रोकने के लिए लागू किया गया है।