Sarkari Yojana

नीति आयोग VS योजना आयोग! आखिर मोदी सरकार ने नाम क्यों बदला, जानिए असली वजह

क्या सिर्फ नाम बदला या सोच भी? जानिए क्यों योजना आयोग को हटाकर नीति आयोग लाया गया, क्या है इसके पीछे की असली रणनीति और कैसे बदल गया देश का विकास मॉडल। पढ़िए पूरी रिपोर्ट जो खोलेगी बदलाव की पूरी कहानी!

By PMS News
Published on
नीति आयोग VS योजना आयोग! आखिर मोदी सरकार ने नाम क्यों बदला, जानिए असली वजह
नीति आयोग VS योजना आयोग! आखिर मोदी सरकार ने नाम क्यों बदला, जानिए असली वजह

नीति आयोग (NITI Aayog) और योजना आयोग (Planning Commission) दोनों भारत सरकार के ऐसे संस्थान हैं जिनका उद्देश्य देश के आर्थिक और सामाजिक विकास की रूपरेखा तैयार करना है। हालांकि, दोनों का कार्य करने का तरीका और सोच में बड़ा अंतर है। मोदी सरकार ने जब 2014 में सत्ता संभाली, तो उसने योजना आयोग को समाप्त कर नीति आयोग की स्थापना की। इसके पीछे सोच थी कि बदलते समय के साथ विकास की प्रक्रिया भी लचीली, सहभागी और व्यावहारिक होनी चाहिए।

योजना आयोग: केंद्रीयकृत योजना की नींव

योजना आयोग की स्थापना 15 मार्च 1950 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य देश के संसाधनों का केंद्रीयकृत तरीके से उपयोग कर पंचवर्षीय योजनाएं बनाना और उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित करना था। यह आयोग आर्थिक नीतियों का निर्धारण करता था और राज्यों को बजट आवंटन भी इसी के माध्यम से किया जाता था।

इसमें राज्यों की भूमिका सीमित थी और नीति निर्माण में उनकी सीधी भागीदारी नहीं थी। धीरे-धीरे यह प्रणाली जटिल और एकतरफा होती चली गई। राज्यों को अक्सर लगता था कि उनकी ज़मीनी हकीकत और ज़रूरतों की अनदेखी हो रही है।

नीति आयोग: सहकारी संघवाद की दिशा में कदम

नीति आयोग (National Institution for Transforming India) की स्थापना 1 जनवरी 2015 को की गई। इसका उद्देश्य एक ऐसा मंच प्रदान करना था जहां केंद्र और राज्य सरकारें एक साथ मिलकर विकास की रणनीतियाँ तैयार कर सकें। यह संस्था कोई फंडिंग बॉडी नहीं है, बल्कि एक थिंक टैंक की तरह काम करती है जो सरकार को नीति निर्माण में मार्गदर्शन देती है।

नीति आयोग का ढांचा इस तरह बनाया गया है कि यह Cooperative Federalism यानी सहकारी संघवाद को बढ़ावा देता है। इसकी गवर्निंग काउंसिल में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सभी मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेशों के लेफ्टिनेंट गवर्नर शामिल होते हैं। इससे राज्यों को नीति निर्माण में भागीदारी मिलती है।

प्रमुख कार्य और उद्देश्य

नीति आयोग का उद्देश्य है कि वर्ष 2047 तक जब भारत अपनी आज़ादी के 100 वर्ष पूरे करेगा, तब तक देश को एक विकसित राष्ट्र बनाया जाए। इसके लिए आयोग विभिन्न क्षेत्रों में रणनीतियां बनाता है जैसे:

  • रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) को बढ़ावा देना
  • स्टार्टअप इंडिया और मेक इन इंडिया जैसे अभियानों में सहयोग
  • स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और डिजिटल इंडिया जैसे क्षेत्रों में नीति सुझाव देना
  • डेटा आधारित नीति निर्माण और प्रदर्शन आधारित मूल्यांकन प्रणाली को अपनाना

नाम बदलने की ज़रूरत क्यों महसूस हुई?

मोदी सरकार का मानना था कि योजना आयोग की कार्यप्रणाली अब बदलते भारत के अनुरूप नहीं रही। एक केंद्रीकृत संस्था के रूप में योजना आयोग नई वैश्विक और स्थानीय चुनौतियों का सामना करने में सक्षम नहीं था। जबकि नीति आयोग को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि वह लचीलेपन (Flexibility) और सहभागिता (Participation) को प्राथमिकता देता है।

इसके अलावा, योजना आयोग में राज्यों को सिर्फ योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए संसाधन देने की भूमिका दी गई थी, जबकि नीति आयोग राज्यों को उनके प्रदर्शन के आधार पर सुझाव और सहायता देता है, जिससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलती है।

क्या बदला है नतीजों के स्तर पर?

नीति आयोग ने अब तक कई महत्वपूर्ण पहलें शुरू की हैं, जिनमें Aspirational Districts Programme, SDG India Index, India Innovation Index जैसी योजनाएं शामिल हैं। यह आयोग केवल नीति निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि वह इनके क्रियान्वयन पर भी नज़र रखता है।

इसके अलावा नीति आयोग ने निजी क्षेत्र, शैक्षणिक संस्थानों और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर भी कई प्रोजेक्ट शुरू किए हैं जिससे नवाचार और तकनीकी विकास को गति मिली है।

Leave a Comment