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फिर चीन देगा पाकिस्तान को अरबों का कर्ज! नई डील से ड्रैगन को कैसे मिलेगा डबल फायदा?

चीन एक बार फिर पाकिस्तान को अरबों डॉलर का कर्ज देकर न केवल उसकी डूबती अर्थव्यवस्था को बचाएगा, बल्कि अपनी करेंसी युआन को भी मजबूत करेगा। इस नई डील से चीन को मिलेगा डबल फायदा – कर्ज के बदले आर्थिक दबाव और क्षेत्रीय प्रभाव! जानिए आखिर क्यों पाकिस्तान को बार-बार मिल रही है चीन की मदद

By PMS News
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फिर चीन देगा पाकिस्तान को अरबों का कर्ज! नई डील से ड्रैगन को कैसे मिलेगा डबल फायदा?
फिर चीन देगा पाकिस्तान को अरबों का कर्ज! नई डील से ड्रैगन को कैसे मिलेगा डबल फायदा?

आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को एक बार फिर चीन ने राहत की सौगात दी है। चीन ने पाकिस्तान को 3.7 अरब डॉलर का नया कर्ज देने का आश्वासन दिया है, जो जून 2025 के अंत तक चीनी मुद्रा युआन में प्रदान किया जाएगा। इससे पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार को दोहरे अंकों में बनाए रखने में मदद मिलेगी।

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पाकिस्तान ने हाल ही में इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना (ICBC) से लिए गए 1.3 अरब डॉलर के ऋण की किश्तें चुका दी हैं। अब चीन ने भरोसा दिलाया है कि यह राशि फिर से युआन में पाकिस्तान को दी जाएगी। इसके अलावा, जून में पाकिस्तान को 2.1 अरब डॉलर (करीब 15 अरब युआन) की एक और सिंडिकेट लोन की अदायगी करनी है, जिसे चीन फिर से युआन में ही रीलेंड करेगा।

चीन को मिलेगा डबल फायदा

इस डील से चीन को दोहरा लाभ मिलेगा। पहला, चीन लंबे समय से चाहता है कि उसकी करेंसी युआन अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर का विकल्प बने। पाकिस्तान जैसे रणनीतिक सहयोगी देश को युआन में कर्ज देकर वह अपनी करेंसी की पकड़ मजबूत कर रहा है।

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दूसरा, जब किसी देश को बार-बार कर्ज देकर उसकी अर्थव्यवस्था को टिकाया जाता है और वो भी अपनी मुद्रा में, तो उस पर राजनीतिक और आर्थिक दबाव बनाना आसान हो जाता है। पाकिस्तान पहले ही चीन से 4 अरब डॉलर की नकद जमा, 5.4 अरब डॉलर के कमर्शियल लोन और 4.3 अरब डॉलर की ट्रेड फाइनेंस सुविधा ले चुका है।

पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति

पाकिस्तान की विदेशी मुद्रा स्थिति अभी भी बेहद नाजुक है। मौजूदा वित्त वर्ष के अंत तक उसे 14 अरब अमेरिकी डॉलर का रिज़र्व लक्ष्य हासिल करना है। आईएमएफ के अनुसार, बाहरी कमर्शियल लोन की संभावना फिलहाल सीमित है, और पाकिस्तान का अगला ‘पांडा बॉन्ड’ भी सिर्फ छोटा प्रयास होगा।

पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक के पास मई 2025 तक लगभग 11.4 अरब डॉलर का भंडार था, जो हाल ही में आईएमएफ से मिले 1 अरब डॉलर के ऋण के बाद भी केवल कुछ ही हफ्तों के आयात के खर्च को पूरा कर सकता है।

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चीन की शर्तें

सूत्रों के मुताबिक, चीन ने इस बार ब्याज दर के दो विकल्प दिए हैं—या तो फिक्स्ड ब्याज दर चुनी जाए, या फिर फ्लोटिंग रेट, लेकिन वो भी शिबोर (Shanghai Interbank Offered Rate) से हटकर, यानी चीन की अपनी शर्तों पर।

क्षेत्रीय प्रभाव

चीन और पाकिस्तान के बीच यह आर्थिक सहयोग क्षेत्रीय कूटनीति में नए समीकरण पैदा कर सकता है। भारत के लिए यह स्थिति चिंता का विषय बन सकती है, क्योंकि चीन की यह रणनीति दक्षिण एशिया में अपने प्रभाव को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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