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डॉलर की जगह लेगा यूरो? करेंसी बाजार में घबराहट की असली वजह जानिए

डॉलर की कमजोर होती पकड़ और यूरो की मजबूत होती स्थिति ने ग्लोबल करेंसी बाजार में घबराहट बढ़ा दी है। अमेरिका की अनिश्चित नीतियों और यूरोपीय संघ की चालों के बीच, जानिए क्या अब यूरो बन सकता है नया किंग

By PMS News
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डॉलर की जगह लेगा यूरो? करेंसी बाजार में घबराहट की असली वजह जानिए
डॉलर की जगह लेगा यूरो? करेंसी बाजार में घबराहट की असली वजह जानिए

हाल के दिनों में वैश्विक करेंसी बाजार में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहा है। अमेरिकी डॉलर की स्थिरता पर उठते सवालों और यूरोपीय संघ (EU) की नीतिगत मजबूती के चलते यूरो को डॉलर के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB) की अध्यक्ष क्रिस्टीन लगार्ड ने भी हाल ही में इस दिशा में संकेत दिए हैं कि यूरो वैश्विक रिजर्व करेंसी के रूप में डॉलर की जगह ले सकता है।

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डॉलर की गिरती पकड़ और यूरो की संभावनाएं

वर्तमान में अमेरिकी डॉलर वैश्विक विदेशी मुद्रा भंडार का लगभग 58% हिस्सा रखता है, जबकि यूरो का हिस्सा लगभग 20% है। हालांकि, अमेरिका की अनिश्चित आर्थिक नीतियों, बढ़ते कर्ज और व्यापारिक तनावों के चलते निवेशकों का भरोसा डॉलर से हटकर अन्य विकल्पों की ओर बढ़ रहा है। इस स्थिति में यूरो को एक स्थिर और विश्वसनीय विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।

ECB की अध्यक्ष क्रिस्टीन लगार्ड ने हाल ही में बर्लिन में दिए गए एक भाषण में कहा कि यूरो को वैश्विक व्यापार में डॉलर का विकल्प बनाने के लिए यूरोपीय संघ को अपनी वित्तीय और सुरक्षा संरचनाओं को मजबूत करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि यूरोप की कानूनी और नीतिगत स्थिरता, साथ ही रक्षा निवेश, वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करने में सहायक हो सकते हैं।

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यूरो की मजबूती के लिए आवश्यक कदम

यूरो को डॉलर का विकल्प बनाने के लिए यूरोपीय संघ को कई महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे:

  • वित्तीय बाजारों का गहन एकीकरण और पूंजी बाजारों की गहराई बढ़ाना।
  • यूरो में व्यापारिक लेनदेन को बढ़ावा देना और नए व्यापार समझौतों के माध्यम से यूरो की भूमिका को सुदृढ़ करना।
  • सुरक्षित और व्यापार योग्य यूरो-संविधानों की उपलब्धता बढ़ाना, जिसमें संयुक्त ऋण जारी करना शामिल है।
  • यूरोपीय संघ की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करना, जिससे वैश्विक निवेशकों को राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता का भरोसा मिले।

हालांकि, इन कदमों को लागू करने में राजनीतिक और संरचनात्मक चुनौतियां हैं, विशेषकर जर्मनी जैसे देशों की ओर से संयुक्त ऋण जारी करने पर आपत्ति।

करेंसी बाजार में घबराहट की वजहें

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों ने वैश्विक निवेशकों के बीच अनिश्चितता बढ़ा दी है। ट्रंप के प्रस्तावित बजट, जो अगले दशक में अमेरिकी कर्ज को $3.8 ट्रिलियन तक बढ़ा सकते हैं, ने बाजार में चिंता पैदा की है। इसके अलावा, ट्रंप की व्यापार नीतियां, जैसे यूरोपीय संघ पर 50% टैरिफ लगाने की योजना, ने डॉलर की स्थिरता पर सवाल खड़े किए हैं।

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इन नीतियों के चलते डॉलर इंडेक्स में गिरावट देखी गई है, जिससे निवेशकों का रुझान सोने और यूरो जैसे विकल्पों की ओर बढ़ा है। यूरो की मजबूती और डॉलर की कमजोरी ने करेंसी बाजार में घबराहट पैदा की है।

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