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Nirjala Ekadashi 2025: कब है निर्जला एकादशी का व्रत? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

निर्जला एकादशी 2025 में सिर्फ एक दिन का व्रत रखकर आप पा सकते हैं सालभर की सभी 24 एकादशियों का पुण्य फल! इस व्रत में नहीं पिया जाता जल, फिर भी मिलता है मोक्ष का मार्ग और पापों से छुटकारा। जानिए कब है यह व्रत, क्या है इसका शुभ मुहूर्त और कैसे करें सही पूजा विधि।

By PMS News
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हिंदू पंचांग के अनुसार, Nirjala Ekadashi 2025 का व्रत अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। यह एकादशी वर्ष की सभी एकादशियों में सबसे कठिन और प्रभावशाली होती है। Nirjala Ekadashi को निर्जल उपवास के रूप में रखा जाता है, जिसमें पूरे दिन जल की एक बूंद भी ग्रहण नहीं की जाती। यह व्रत विशेष रूप से भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि महाभारत के पात्र भीम ने इसी दिन व्रत किया था।

Nirjala Ekadashi 2025: कब है निर्जला एकादशी का व्रत? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Nirjala Ekadashi 2025: कब है निर्जला एकादशी का व्रत? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

निर्जला एकादशी का महत्व इस बात में छिपा है कि जो व्यक्ति यह व्रत पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ करता है, उसे साल भर की सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है। यह व्रत Moksha प्राप्ति का मार्ग माना गया है और पापों के नाश के लिए अति प्रभावी बताया गया है।

Nirjala Ekadashi 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, Nirjala Ekadashi 2025 की तिथि 10 जून 2025, मंगलवार को निर्धारित की गई है। यह एकादशी ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है।

एकादशी तिथि प्रारंभ: 09 जून 2025 को रात्रि 04:43 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त: 10 जून 2025 को रात्रि 06:24 बजे तक
व्रत पारण का समय: 11 जून 2025 को प्रातः 05:26 से 08:11 बजे तक

व्रती इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें, फिर संकल्प लेकर व्रत प्रारंभ करें। व्रत का पारण अगले दिन ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देकर और जल आदि पिलाकर किया जाता है।

निर्जला एकादशी का धार्मिक महत्व

Nirjala Ekadashi का व्रत करने से व्यक्ति को स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। यह व्रत विशेषकर उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो वर्षभर सभी एकादशियों का पालन नहीं कर पाते। शास्त्रों में बताया गया है कि केवल निर्जला एकादशी का व्रत भी सभी 24 एकादशियों का फल प्रदान करता है।

भीमसेन को व्रत करने में कठिनाई होती थी, इसलिए उन्होंने श्रीव्यास जी से उपाय पूछा। तब उन्होंने बताया कि यदि वे साल में एक बार केवल निर्जला एकादशी का व्रत कर लें तो उन्हें सभी व्रतों का पुण्य प्राप्त होगा। इसीलिए इसे ‘भीम एकादशी’ भी कहा जाता है।

Nirjala Ekadashi की पूजा विधि

इस दिन पूजा विधि विशेष नियमों के अंतर्गत की जाती है। सबसे पहले घर की सफाई करके पवित्र स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। पीले वस्त्र पहनकर, भगवान विष्णु को पीले पुष्प, तुलसी के पत्ते, फल, पंचामृत आदि अर्पित करें। इसके बाद विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।

पूजन के उपरांत दिनभर उपवास रखें। इस दिन न जल ग्रहण करना चाहिए और न ही कोई अन्न। रात्रि में भगवान विष्णु के भजन कीर्तन करके जागरण करना शुभ माना जाता है।

व्रत के दौरान रखें ये विशेष सावधानियां

Nirjala Ekadashi के व्रत में शरीर को तपाने वाला संयम आवश्यक होता है। गर्मियों के मौसम में यह व्रत कठिन हो सकता है, इसलिए व्रत के पहले दिन यानि दशमी को हल्का भोजन लें और शरीर को हाइड्रेट रखें। कमजोर स्वास्थ्य वाले व्यक्ति डॉक्टर की सलाह के बाद व्रत करें।

इस दिन गलत आचरण, क्रोध, झूठ और निंदा से बचना चाहिए। पूजा में पूरी श्रद्धा और सात्विकता का पालन करना अति आवश्यक है।

व्रत से मिलने वाले लाभ और मान्यताएं

मान्यता है कि Nirjala Ekadashi का व्रत करने से समस्त पापों का नाश होता है और मृत्यु के उपरांत व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं बल्कि मानसिक और शारीरिक तपस्या के रूप में भी अत्यंत लाभकारी होता है।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान विष्णु स्वयं इस दिन व्रतधारियों को आशीर्वाद देते हैं और उनके सारे दोष समाप्त कर उन्हें वैकुण्ठ धाम की प्राप्ति कराते हैं।

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