Sarkari Yojana

अब महाराष्ट्र के सभी सरकारी दफ्तरों में मराठी अनिवार्य! बैंक-रेलवे और केंद्र पर भी लागू हुआ नया नियम

बैंक, रेलवे और केंद्र सरकार के सभी ऑफिसों में अब मराठी अनिवार्य कर दी गई है। फडणवीस सरकार ने जारी किया सख्त सर्कुलर, जानें कहां-कहां और कैसे लागू होगा ये नया आदेश – पूरी जानकारी आगे पढ़ें।

By PMS News
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अब महाराष्ट्र के सभी सरकारी दफ्तरों में मराठी अनिवार्य! बैंक-रेलवे और केंद्र पर भी लागू हुआ नया नियम
अब महाराष्ट्र के सभी सरकारी दफ्तरों में मराठी अनिवार्य! बैंक-रेलवे और केंद्र पर भी लागू हुआ नया नियम

अब बैंक, रेलवे और केंद्र सरकार के दफ्तरों में मराठी अनिवार्य—महाराष्ट्र सरकार ने इस बड़े निर्णय को लागू करते हुए एक सर्कुलर जारी कर दिया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार ने साफ निर्देश दिए हैं कि अब राज्य में काम करने वाले सभी केंद्रीय कार्यालयों, जैसे बैंक, रेलवे, बीमा कंपनियाँ और अन्य केंद्र सरकार के अधीन आने वाले संस्थानों में मराठी भाषा का उपयोग हिंदी और अंग्रेजी के साथ अनिवार्य होगा।

इसका मकसद महाराष्ट्र की स्थानीय भाषा और सांस्कृतिक पहचान को सशक्त बनाना है। सरकार की यह पहल राज्य में मराठी भाषियों की भावनाओं को सम्मान देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में लिया गया अहम निर्णय

सोमवार, 26 मई 2025 को महाराष्ट्र सरकार ने यह परिपत्र (Circular) जारी किया, जिसमें केंद्र सरकार के सभी कार्यालयों में Marathi Language के उपयोग को अनिवार्य कर दिया गया। इस कदम को लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट किया है कि यह निर्णय राज्य की जनभावनाओं का सम्मान करते हुए लिया गया है और इससे प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता और आम नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित हो सकेगी।

राज्य सरकार का यह फैसला ना केवल भाषाई सम्मान का प्रतीक है, बल्कि यह एक नीतिगत निर्णय है, जो स्थानीय नागरिकों को सरकारी तंत्र से अधिक जोड़ेगा। इससे लोगों को अपनी मातृभाषा में सेवा प्राप्त करने में सुविधा होगी, खासकर ग्रामीण और कम पढ़े-लिखे वर्ग के लोगों के लिए यह एक बड़ी राहत होगी।

जिला कलेक्टरों को सौंपी गई जिम्मेदारी, होगा नियमित फॉलोअप

सर्कुलर में यह भी साफ तौर पर उल्लेख किया गया है कि इस निर्णय के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी जिला कलेक्टरों (District Collectors) को सौंपी गई है। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि केंद्र सरकार के अधीन सभी संस्थानों में मराठी भाषा का उपयोग किया जा रहा है या नहीं।

जिला प्रशासन को समय-समय पर निरीक्षण करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है ताकि किसी भी संस्था में इस आदेश की अनदेखी न हो। राज्य सरकार ने संकेत दिए हैं कि जो कार्यालय मराठी भाषा के उपयोग में कोताही बरतेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है।

बैंक, बीमा कंपनियाँ और रेलवे को भी करना होगा मराठी का उपयोग

सिर्फ राज्य सरकार के दफ्तर ही नहीं, बल्कि Bank, Insurance Companies, Railway जैसे केंद्र सरकार के अधीन आने वाले विभागों को भी अब मराठी में कामकाज करना होगा। यह आदेश लागू होते ही इन सभी संस्थानों को अपने कार्यालयों में मराठी भाषा में सूचना बोर्ड, फॉर्म, सेवा विवरण, और संवाद उपलब्ध कराने होंगे।

अब तक इन संस्थानों में मुख्य रूप से हिंदी और अंग्रेजी का उपयोग होता था, जिससे कई बार मराठी भाषी आम नागरिकों को परेशानी होती थी। अब मराठी में सूचनाएं उपलब्ध होने से संवाद में पारदर्शिता और स्पष्टता आएगी।

सांस्कृतिक पहचान और क्षेत्रीय भाषा को सशक्त करने की दिशा में कदम

महाराष्ट्र की संस्कृति और उसकी भाषा मराठी लंबे समय से राज्य की आत्मा रही है। परंतु कई बार यह देखने को मिला है कि केंद्रीय संस्थानों में इस भाषा की अनदेखी होती है। इस निर्णय से न केवल मराठी भाषियों को सामाजिक सम्मान मिलेगा, बल्कि यह क्षेत्रीय भाषा की सशक्तता को भी दर्शाता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के निर्णय से राष्ट्रीय एकता को कोई नुकसान नहीं होता, बल्कि यह भारत की भाषाई विविधता को और समृद्ध करता है। हर राज्य को यह अधिकार है कि वह अपनी मातृभाषा को प्रशासनिक और सामाजिक जीवन में प्राथमिकता दे।

पहले भी हो चुकी हैं मांगें, अब मिला कानूनी रूप

मराठी को अनिवार्य किए जाने की मांग लंबे समय से चल रही थी। कई सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने समय-समय पर यह मुद्दा उठाया था कि महाराष्ट्र में काम करने वाले केंद्र सरकार के कार्यालयों में भी मराठी का समुचित उपयोग होना चाहिए। अब इस निर्णय के साथ यह मांग पूरी हो चुकी है और इसे एक कानूनी रूप मिल गया है।

क्या होगा इस फैसले का असर?

इस निर्णय का सबसे बड़ा लाभ मराठी भाषी आम नागरिकों को मिलेगा। उन्हें अब बैंक, बीमा और रेलवे जैसे संस्थानों में अपनी भाषा में सेवा मिलेगी। इससे उनकी भागीदारी भी बढ़ेगी और प्रशासन में पारदर्शिता आएगी।

हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इसे लागू करने में शुरुआत में कुछ तकनीकी और मानव संसाधन से जुड़ी समस्याएं आ सकती हैं, जैसे स्टाफ की भाषा दक्षता, सॉफ्टवेयर में बदलाव आदि। लेकिन सरकार ने संकेत दिए हैं कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए पर्याप्त समय और संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे।

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