
BTech Courses इन दिनों शिक्षा और करियर की दुनिया में सबसे चर्चित विषयों में से एक है। हर साल लाखों 12वीं पास स्टूडेंट्स बीटेक में दाखिला लेते हैं, लेकिन अब इस कोर्स की तस्वीर बदलती नजर आ रही है। जहां एक समय पर Civil Engineering, Mechanical Engineering और Petroleum Engineering जैसी ब्रांचेस टॉप चॉइस मानी जाती थीं, वहीं अब स्टूडेंट्स AI (Artificial Intelligence) और Data Science जैसे मॉडर्न कोर्स की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
तेजी से बढ़ी कंप्यूटर साइंस और AI की डिमांड
बीते कुछ सालों में टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में क्रांति आई है। खासकर कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग, AI, डेटा साइंस और मशीन लर्निंग जैसी ब्रांचेस की मांग में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। इन क्षेत्रों में न सिर्फ शानदार सैलरी पैकेज मिल रहे हैं बल्कि ग्लोबल लेवल पर भी स्कोप बहुत बड़ा है। इसका सीधा असर पारंपरिक बीटेक ब्रांचेस की लोकप्रियता पर पड़ा है।
क्यों फीकी पड़ी पारंपरिक ब्रांचेस की चमक?
Civil, Mechanical, Electrical, और Chemical जैसी ब्रांचेस अब पहले जैसी डिमांड में नहीं रहीं। टेक्नोलॉजी एडवांसमेंट, इंडस्ट्री की जरूरतों में बदलाव और ऑटोमेशन ने इन कोर्सेस की उपयोगिता को काफी हद तक कम कर दिया है। इन ब्रांचेस में एडमिशन लेने वाले छात्रों की संख्या में भी गिरावट आई है।
Civil Engineering: कभी टॉप ब्रांच, अब छात्रों की पहली पसंद नहीं
Civil Engineering एक समय में सबसे अधिक पसंद की जाने वाली ब्रांच थी। लेकिन अब इसमें कोर जॉब्स की संख्या कम हो गई है। भारत में सरकारी सेक्टर जैसे सड़क, पुल और बांध निर्माण में कुछ अवसर जरूर हैं, लेकिन प्राइवेट सेक्टर में ग्रोथ की गति धीमी है। साथ ही ऑटोमेशन जैसे BIM (Building Information Modeling) ने ट्रेडिशनल जॉब्स को रिप्लेस कर दिया है।
Mechanical Engineering: Automation ने खत्म किए परंपरागत मौके
Mechanical Engineering की चमक भी अब पहले जैसी नहीं रही। मैन्युफैक्चरिंग और ऑटोमोटिव सेक्टर में ऑटोमेशन और रोबोटिक्स के बढ़ते इस्तेमाल ने कई पारंपरिक जॉब्स खत्म कर दिए हैं। स्टूडेंट्स अब कोर जॉब्स के बजाय IT सेक्टर की ओर शिफ्ट हो रहे हैं, लेकिन वहां उनकी डिग्री सीधे तौर पर उपयोगी नहीं होती।
Electrical Engineering: स्मार्ट टेक्नोलॉजी की रफ्तार के साथ नहीं चला सिलेबस
Electrical Engineering में अब जॉब्स की संभावनाएं सीमित होती जा रही हैं। पावर जनरेशन और डिस्ट्रिब्यूशन जैसे पारंपरिक क्षेत्रों में नौकरियां अधिकतर सरकारी या PSUs में होती हैं, जिनकी संख्या बेहद सीमित है। साथ ही कॉलेजों का सिलेबस अभी भी पुराना है जो स्मार्ट ग्रिड, Renewable Energy और IoT जैसे नए क्षेत्रों को नहीं कवर करता।
Electronics and Communication Engineering: हार्डवेयर से सॉफ्टवेयर की ओर रुझान
ECE ब्रांच की लोकप्रियता भी घटती जा रही है। VLSI और हार्डवेयर डिजाइन की जगह अब सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, Cloud Computing और AI जैसे फील्ड ज्यादा आकर्षक हो गए हैं। कई ECE स्टूडेंट्स को कोर इलेक्ट्रॉनिक्स जॉब्स नहीं मिलती, जिससे उन्हें दूसरी फील्ड्स में शिफ्ट होना पड़ता है।
Chemical Engineering: इंडस्ट्री सीमित, मौके घटते गए
भारत में Chemical Engineering की डिमांड कुछ चुनिंदा सेक्टर्स जैसे पेट्रोकेमिकल, फार्मा और फर्टिलाइजर तक सीमित है। इन क्षेत्रों में भी ग्रोथ की गति धीमी है। नतीजतन, कई केमिकल इंजीनियर्स को मैनेजमेंट या सेल्स जैसे नॉन-टेक्निकल फील्ड में जाना पड़ता है, जहां उनकी टेक्निकल स्किल्स का सही उपयोग नहीं हो पाता।
Production और Industrial Engineering: इंडस्ट्री 4.0 के दौर में आउटडेटेड
Production और Industrial Engineering भी अब आकर्षक विकल्प नहीं रह गए हैं। यह ब्रांच पुराने मैन्युफैक्चरिंग सिस्टम्स पर आधारित है, जबकि आज की इंडस्ट्री ऑटोमेशन, रोबोटिक्स और Industry 4.0 की ओर बढ़ रही है। इसकी वजह से कोर जॉब्स कम हो गए हैं और ग्रेजुएट्स को सप्लाई चेन या मैनेजमेंट फील्ड में शिफ्ट होना पड़ता है।
पारंपरिक कोर्स की गिरावट के पीछे की मुख्य वजहें
पारंपरिक बीटेक कोर्सेस की डिमांड में आई गिरावट की कुछ बड़ी वजहें हैं:
आईटी और सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री का तेजी से विकास, आउटडेटेड सिलेबस, ऑटोमेशन की वजह से जॉब्स में कटौती, इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स की अधिकता और कोर जॉब्स में कम वेतन और ज्यादा फील्डवर्क।
बीटेक डिग्री की वैल्यू कैसे बढ़ाएं?
आज के दौर में केवल डिग्री काफी नहीं है। स्किल्स का अपडेट रहना जरूरी है। Python, C++, डेटा साइंस, IoT, AI/ML जैसी स्किल्स सीखना जरूरी हो गया है। साथ ही इंटर्नशिप, इंडस्ट्री-प्रासंगिक प्रोजेक्ट्स और एमबीए जैसे विकल्पों से करियर को नई दिशा दी जा सकती है। GATE के जरिए PSUs में नौकरी या M.Tech के अवसर भी तलाशे जा सकते हैं।