
अक्सर आपने महसूस किया होगा कि जब आप किसी धातु, दरवाजे के हैंडल, गाड़ी के दरवाजे या फिर किसी इंसान को छूते हैं, तो हल्का सा बिजली जैसा झटका लगता है। यह झटका न केवल चौंकाता है, बल्कि कभी-कभी डर भी पैदा कर देता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? दरअसल, यह कोई इलेक्ट्रिक फॉल्ट या करंट नहीं होता, बल्कि एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसे “स्टैटिक इलेक्ट्रिसिटी” या स्थैतिक बिजली कहा जाता है। यह पूरी प्रक्रिया हमारे शरीर में इलेक्ट्रॉनों के असंतुलन के कारण होती है, और इसके पीछे के कारण जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे।
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स्टैटिक इलेक्ट्रिसिटी क्या होती है?
स्टैटिक इलेक्ट्रिसिटी एक प्रकार की स्थाई बिजली होती है जो दो वस्तुओं के बीच रगड़ या संपर्क से उत्पन्न होती है। जब दो वस्तुएं आपस में रगड़ती हैं, तो इलेक्ट्रॉन्स (इलेक्ट्रॉन कण) एक सतह से दूसरी सतह पर स्थानांतरित हो जाते हैं। इससे एक वस्तु पर नेगेटिव चार्ज और दूसरी पर पॉजिटिव चार्ज बनता है। जब कोई चार्ज्ड वस्तु किसी न्यूट्रल या विपरीत चार्ज वाली वस्तु से संपर्क करती है, तो इलेक्ट्रॉन्स तुरंत ट्रांसफर होते हैं, और हमें बिजली जैसा हल्का झटका महसूस होता है।
क्यों होता है यह झटका?
यह झटका तब महसूस होता है जब हम किसी चार्ज्ड सतह या वस्तु को छूते हैं। उदाहरण के लिए, सर्दियों के मौसम में जब हम ऊनी कपड़े पहनते हैं और किसी कार के दरवाजे या धातु के हैंडल को छूते हैं, तो हमारे शरीर में जमा हुआ स्टैटिक चार्ज तुरंत डिस्चार्ज होता है। यह डिस्चार्ज इलेक्ट्रॉनों के अचानक बहाव से होता है, जिससे हमें करंट जैसा अनुभव होता है।
किन परिस्थितियों में स्टैटिक शॉक ज्यादा होता है?
स्टैटिक शॉक आमतौर पर ठंडी और शुष्क जलवायु में अधिक महसूस होता है। इसके पीछे मुख्य कारण हवा में नमी की कमी होती है। जब वातावरण शुष्क होता है, तो इलेक्ट्रॉन्स अधिक समय तक सतहों पर टिके रहते हैं और चार्ज जल्दी डिस्चार्ज नहीं होता। इसके अलावा, कृत्रिम फाइबर जैसे नायलॉन, पॉलिएस्टर और ऊनी कपड़े इस प्रक्रिया को और भी तेज़ बना देते हैं।
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शरीर में कैसे जमा होता है चार्ज?
हमारा शरीर एक कंडक्टर की तरह काम करता है। जब हम चलते हैं, खासकर कृत्रिम फर्श पर रबर या प्लास्टिक के सोल वाले जूते पहनकर, तो शरीर में धीरे-धीरे इलेक्ट्रॉन्स जमा होने लगते हैं। जैसे ही हम किसी धातु की वस्तु या इंसान से संपर्क करते हैं, ये इलेक्ट्रॉन्स तुरंत बाहर निकलते हैं और हमें झटका महसूस होता है।
तकनीकी और इंडस्ट्रियल उपयोग
स्टैटिक इलेक्ट्रिसिटी का प्रयोग कई तकनीकी और औद्योगिक क्षेत्रों में होता है। जैसे कि प्रिंटिंग प्रेस, फोटोकॉपी मशीन, एयर प्योरीफायर, और यहां तक कि स्प्रे पेंटिंग में भी इसका उपयोग किया जाता है। हालांकि, अत्यधिक स्टैटिक चार्ज कई बार खतरनाक भी हो सकता है, जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री में संवेदनशील उपकरणों को नुकसान पहुंचाना या फ्लेमेबल पदार्थों के पास आग लगने का खतरा बढ़ाना।
कैसे बचा जा सकता है इस झटके से?
स्टैटिक शॉक से बचने के लिए कुछ आसान उपाय अपनाए जा सकते हैं। जैसे कि:
- मॉइस्चराइजर का उपयोग करें जिससे त्वचा में नमी बनी रहे
- कॉटन जैसे प्राकृतिक कपड़े पहनें
- घर और दफ्तर में ह्यूमिडिफायर का उपयोग करें
- धातु के किसी हिस्से को पहले धीरे से छूकर चार्ज डिस्चार्ज करें
इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री में “Anti-static wrist bands” और “conductive mats” का उपयोग किया जाता है ताकि स्टैटिक शॉक से उपकरणों को बचाया जा सके।
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क्या यह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है?
अधिकतर मामलों में स्टैटिक शॉक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक नहीं होता। यह केवल कुछ मिलीसेकेंड्स का अनुभव होता है, और इससे शरीर को कोई स्थाई नुकसान नहीं पहुंचता। हालांकि, दिल की गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए यह हल्का करंट असहज हो सकता है। कुछ अत्यधिक संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे पेसमेकर पर इसका प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए सावधानी आवश्यक है।
भविष्य में स्टैटिक टेक्नोलॉजी का रोल
जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी बढ़ रही है, स्टैटिक इलेक्ट्रिसिटी को नियंत्रित करने के लिए और भी अत्याधुनिक तकनीकों का विकास किया जा रहा है। विशेषकर Renewable Energy क्षेत्र में स्टैटिक चार्ज का सही प्रयोग करके ऊर्जा उत्पन्न करने के प्रयोग चल रहे हैं। इसी प्रकार से Smart Fabrics और Wearable Gadgets में भी इस तकनीक का संयोजन किया जा रहा है।