
दिल्ली-एनसीआर में जुलाई से पुराने वाहनों के संचालन पर बड़ा कदम उठाया जाने वाला है। खासकर वे गाड़ियाँ जो अपनी निर्धारित उम्र पूरी कर चुकी हैं—जैसे कि 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल कारें—अब इनका उपयोग आसान नहीं रहेगा। एक जुलाई 2025 से सरकार इन वाहनों को ईंधन उपलब्ध कराने पर रोक लगाने जा रही है।
पुराने वाहनों को पेट्रोल-डीजल की सप्लाई पर पूर्ण रोक
सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, एक जुलाई से एंड ऑफ लाइफ व्हीकल्स (End-of-Life Vehicles) यानी 10 साल से अधिक पुरानी डीजल और 15 साल से अधिक पुरानी पेट्रोल कारों को दिल्ली में फ्यूल स्टेशनों पर ईंधन नहीं मिलेगा। यह नियम दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता को सुधारने और प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में उठाया गया एक कड़ा लेकिन आवश्यक कदम है।
पेट्रोल पंप संचालकों पर भी होगी कार्रवाई
नए दिशा-निर्देशों के तहत, यदि कोई फ्यूल स्टेशन ऐसे प्रतिबंधित वाहनों में पेट्रोल या डीजल भरता पाया जाता है, तो उस पर भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस नियम का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि निगरानी के लिए ANPR कैमरा (Automatic Number Plate Recognition) और अन्य मॉनिटरिंग मैकेनिज्म लगाए जाएंगे।
30 जून तक का समय
जिन वाहन मालिकों की कारें इन शर्तों के अंतर्गत आती हैं, उन्हें 30 जून 2025 तक का समय दिया गया है कि वे ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट से NoC (No Objection Certificate) प्राप्त करें या फिर अपनी गाड़ी को दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र से बाहर ले जाएं। एक और विकल्प है कि वे अपनी पुरानी कार को स्क्रैपिंग पॉलिसी के तहत कबाड़ में बेच दें, जिससे वे सरकार की ओर से दी जा रही प्रोत्साहन योजनाओं का लाभ भी उठा सकते हैं।
सरकार की ओर से सख्त निगरानी तंत्र तैयार
प्रदूषण नियंत्रण को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार ट्रैफिक जंक्शनों, फ्यूल स्टेशनों और मुख्य मार्गों पर कैमरे व सेंसर आधारित निगरानी तंत्र स्थापित कर रही है। ऐसे वाहन जो नियमों के उल्लंघन में पाए जाएंगे, उन्हें तुरंत चिन्हित किया जाएगा और आवश्यक दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
क्या कहता है मौजूदा कानून?
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप, दिल्ली-एनसीआर में 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल कारों के चलने पर पहले से ही प्रतिबंध है। लेकिन अब इस प्रतिबंध को और कड़ा बनाते हुए इन गाड़ियों को ईंधन भी नहीं दिया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रतिबंधित वाहन सड़कों पर न चलें और वायु प्रदूषण पर नियंत्रण हो सके।