
फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) एक जाना-माना तरीका है जिसमें लोग पैसा लगाते हैं क्योंकि यह सुरक्षित है और इसमें तयशुदा ब्याज मिलता है। जब बाज़ार में उतार-चढ़ाव होता है, तो एफडी भरोसेमंद लगती है। लेकिन एफडी से जो ब्याज मिलता है, उस पर टैक्स के नियम समझना ज़रूरी है। एफडी का ब्याज पूरी तरह से टैक्स के दायरे में आता है और यह आपकी सालाना कमाई में जुड़ जाता है। इस पर टीडीएस भी कटता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि आपको कितना ब्याज मिल रहा है।
FD पर टैक्स कैसे लगता है
FD पर मिलने वाले ब्याज पर लागू टैक्स की दरें आपके टैक्स स्लैब पर निर्भर करती हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपकी कुल सालाना आय 20% टैक्स स्लैब में आती है, तो आपको FD से मिलने वाले ब्याज पर 20% इनकम टैक्स देना होगा। यह नियम न सिर्फ बैंक FDs पर बल्कि NBFC (Non-Banking Financial Companies) की FD योजनाओं पर भी लागू होता है।
बैंक FD पर TDS की गणना
यदि आपकी उम्र 60 साल से कम है और आपने एक वित्तीय वर्ष में FD से ₹40,000 से अधिक ब्याज अर्जित किया है, तो बैंक 10% TDS काटता है। वहीं सीनियर सिटीजन (60 वर्ष या उससे अधिक) के लिए यह सीमा ₹50,000 है। यदि आपने बैंक को अपना PAN कार्ड नहीं दिया है, तो TDS की दर 20% तक बढ़ जाती है। यह एक महत्वपूर्ण विवरण है जिसे निवेशकों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
NBFC FD पर TDS लागू होने की स्थिति
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में FD कराने वाले निवेशकों के लिए TDS का नियम थोड़ा अलग है। यदि किसी वित्तीय वर्ष में ₹5,000 से अधिक ब्याज मिलता है, तो 10% TDS कटता है। यहां भी PAN न देने पर TDS की दर 20% हो जाती है। कई निवेशक NBFCs में बेहतर ब्याज दरों के कारण निवेश करते हैं, लेकिन टैक्स के नियम यहां भी पूरी सख्ती से लागू होते हैं।
NRI के लिए TDS के अलग नियम
NRI (Non-Resident Indian) निवेशकों को FD पर मिलने वाले ब्याज पर भारतीय नागरिकों की तुलना में अधिक TDS चुकाना होता है। यह दर 10% से लेकर 30% तक हो सकती है, जो उनकी आय और निवेश के प्रकार पर निर्भर करती है। साथ ही, NRIs को TDS छूट प्राप्त करने के लिए भारत में आयकर कानूनों के तहत कुछ अतिरिक्त प्रक्रियाएं अपनानी पड़ती हैं।
TDS से कैसे बचें: Form 15G और 15H का उपयोग
यदि आपकी कुल टैक्सेबल इनकम टैक्स स्लैब के अंतर्गत नहीं आती, तो आप Form 15G (सामान्य निवेशकों के लिए) या Form 15H (सीनियर सिटीजन के लिए) जमा करके TDS से छूट प्राप्त कर सकते हैं। यह फार्म आपके FD खाते से संबंधित बैंक या NBFC को देना होता है, जिससे वे TDS काटने से बचते हैं। हालांकि, यह तभी मान्य होता है जब आपकी कुल आय टैक्स छूट की सीमा से कम हो।
Recurring Deposit (RD) पर भी TDS लागू
बहुत से निवेशक केवल FD पर टैक्स नियम जानते हैं, लेकिन यह समझना जरूरी है कि Recurring Deposit (RD) पर भी TDS लागू होता है। हालांकि FD की तरह यह मासिक आधार पर नहीं, बल्कि साल में एक बार कटता है। यदि आपकी RD से सालभर में पर्याप्त ब्याज अर्जित होता है, तो उस पर भी TDS की गणना होती है।
FD ब्याज पर टैक्स की गणना कैसे करें
FD पर टैक्स कैलकुलेट करने के लिए सबसे पहले आपको अपने FD से मिलने वाले कुल ब्याज की जानकारी होनी चाहिए। फिर अपनी टैक्स स्लैब को ध्यान में रखते हुए इस ब्याज पर लागू टैक्स की गणना करें। इसके बाद अपने इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में इसे शामिल करें। यह सुनिश्चित करने के लिए कि बैंक ने सही TDS काटा है या नहीं, आप Form 26AS को ऑनलाइन चेक कर सकते हैं। इस फॉर्म में आपकी कटौती और टैक्स भुगतान का पूरा ब्योरा होता है।