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मंदिर में कब और कैसे बजानी चाहिए घंटी? जानिए सही तरीका

मंदिर में घंटी बजाना सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि ध्यान और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत है। इसे केवल प्रवेश के समय और आरती में बजाना चाहिए, जबकि बाहर निकलते समय या शाम की पूजा में नहीं। घंटी की मध्यम ध्वनि मन को शांत करती है और ईश्वरीय ऊर्जा को जाग्रत करती है। यह लेख घंटी बजाने के धार्मिक और वैज्ञानिक पहलुओं को विस्तार से समझाता है।

By PMS News
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मंदिर में कब और कैसे बजानी चाहिए घंटी? जानिए सही तरीका
Temple Bell Ritual

मंदिर में घंटी बजाने का सही तरीका हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का एक गहरा हिस्सा है, जिसे अक्सर भावनात्मक आस्था से जोड़ा जाता है लेकिन इसके पीछे वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों पहलू मौजूद हैं। जब हम मंदिर में प्रवेश करते हैं और आरती के समय घंटी बजाते हैं, तो यह न केवल भगवान को हमारी उपस्थिति की सूचना देता है, बल्कि एक विशेष प्रकार की ध्वनि कंपन भी उत्पन्न करता है जो मन को शांत और एकाग्र करने में सहायक होता है।

घंटी बजाना एक साधना का रूप है, जिसे ध्यानपूर्वक और श्रद्धा से किया जाना चाहिए। मंदिर की घंटी केवल एक धातु की वस्तु नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा माध्यम है जिससे वातावरण में सकारात्मकता फैलती है और भक्त का मन भगवान की ओर केन्द्रित होता है।

मंदिर में प्रवेश करते समय घंटी बजाने का महत्व

Hindu Traditions
Hindu Traditions

जब कोई श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश करता है, तो घंटी बजाना एक परंपरागत संकेत होता है जिससे यह माना जाता है कि वह ईश्वर के दरबार में आ चुका है। इस ध्वनि से मंदिर का वातावरण जाग्रत होता है और भीतर की ऊर्जा सक्रिय हो जाती है। यह केवल धार्मिक संकेत नहीं, बल्कि ध्यान के प्रारंभ का प्रतीक भी है।

आरती के समय घंटी बजाना क्यों शुभ होता है

आरती के समय घंटी बजाने से पूजा की प्रक्रिया को एक विशेष ऊर्जा मिलती है। यह ध्वनि पूरे माहौल को आध्यात्मिकता से भर देती है और भगवान की कृपा प्राप्त करने में सहायक होती है। ऐसा माना जाता है कि जब आरती के समय भक्तगण घंटी बजाते हैं तो उस ध्वनि में ईश्वरीय शक्ति का वास होता है, जो वातावरण को शुद्ध करती है और मन को भक्ति में लीन करती है।

मंदिर से बाहर निकलते समय घंटी न बजाएं

यह कम लोगों को पता होता है कि मंदिर से बाहर निकलते समय घंटी बजाना वर्जित माना जाता है। इसका कारण यह है कि मंदिर की सकारात्मक ऊर्जा को भीतर ही रहने देना चाहिए। जब आप बाहर जा रहे होते हैं, तो घंटी बजाने से वह ऊर्जा बाहर फैल सकती है, जिससे उसका प्रभाव कम हो जाता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसे धार्मिक अनुशासन का हिस्सा माना जाता है।

घंटी बजाने का तरीका और सावधानियाँ

घंटी को हमेशा सीधे हाथ से और नियंत्रित स्वर में बजाना चाहिए। बहुत तेज आवाज में घंटी बजाने से मंदिर की गरिमा भंग होती है और यह भक्तों की एकाग्रता को भी प्रभावित कर सकता है। साथ ही, घंटी बजाते समय भगवान का नाम लेना या मंत्रों का उच्चारण करना विशेष रूप से शुभ माना गया है। यह मानसिक स्थिति को स्थिर करता है और ध्यान को गहराता है।

शाम की पूजा में घंटी बजाने से क्यों बचना चाहिए

एक विशेष धार्मिक नियम के अनुसार, शाम की पूजा में घंटी नहीं बजाई जाती क्योंकि यह समय भगवान के विश्राम का माना जाता है। अगर इस समय घंटी बजाई जाती है, तो इसे पूजा में विघ्न और अशुभ फल देने वाला माना जाता है। यह नियम भारत की कई परंपराओं और ग्रंथों में उल्लेखित है और अब भी बहुत से मंदिरों में इसका पालन होता है।

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