
इस समय भारतीय खाद्य निगम (FCI) के गोदामों में चावल और गेहूं का भंडार ऐतिहासिक रूप से बहुत अधिक है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, 28 फरवरी तक FCI के पास कुल करीब 86 मिलियन टन अनाज मौजूद था। इसमें से अधिकांश चावल और गेहूं है। यह स्टॉक इतना है कि यह पूरे देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत एक साल से ज्यादा की जरूरत को पूरा कर सकता है।
राज्यों को तीन महीने का राशन एक बार में देने की योजना
इस भारी स्टॉक को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार एक महत्वपूर्ण कदम उठाने की तैयारी में है। वह राज्यों को उनके कोटे का तीन महीने का राशन एक साथ उठाने की अनुमति दे सकती है। यह राशन PDS के तहत जरूरतमंद लाभार्थियों को मुफ्त में वितरित किया जाएगा। सरकार का उद्देश्य गोदामों को खाली करना है ताकि नई फसल के लिए जगह बनाई जा सके।
स्टॉक मैनेजमेंट की एक सामान्य प्रक्रिया
इस तरह का फैसला सरकार पहले भी ले चुकी है। उदाहरण के लिए, कोविड-19 महामारी के दौरान भी एक बार में दो महीने का राशन वितरित किया गया था। अधिकारियों के अनुसार, यह फैसला किसी आपात स्थिति या सीमा विवाद के कारण नहीं लिया जा रहा है, बल्कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है जो हर साल नई फसल से पहले अपनाई जाती है।
कब और कैसे मिलेगा तीन महीने का राशन
सरकार की योजना के तहत जून, जुलाई और अगस्त का राशन कोटा मई महीने में ही राज्यों को दे दिया जाएगा। राज्यों को इसे 31 मई तक उठा लेना होगा। जरूरत पड़ने पर उन्हें कुछ अतिरिक्त समय यानी “छूट अवधि” भी दी जा सकती है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि वितरण प्रक्रिया में कोई रुकावट न आए।
80 करोड़ लाभार्थियों को हर महीने मुफ्त राशन
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के तहत देशभर के करीब 80 करोड़ लोगों को हर महीने मुफ्त राशन दिया जाता है। हर व्यक्ति को 5 किलो चावल या गेहूं (या दोनों) मिलते हैं। यह राशन करीब 33–34 लाख टन चावल और 15–16 लाख टन गेहूं के रूप में हर महीने वितरित किया जाता है। यानी हर महीने लगभग 49–50 लाख टन अनाज बांटा जाता है।
27 अप्रैल तक का स्टॉक साल भर की जरूरत से ज्यादा
27 अप्रैल तक के अनुमान के मुताबिक, केंद्र सरकार के पास 6 करोड़ 61 लाख 70 हजार टन गेहूं और चावल का स्टॉक मौजूद था। यह मात्रा पूरे साल में देश की सभी राशन दुकानों से वितरित किए जाने वाले कुल अनाज से भी ज्यादा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत की खाद्य सुरक्षा प्रणाली बेहद मजबूत है और सरकार के पास पर्याप्त संसाधन हैं।