
पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण और रणनीतिक निर्णय लिया है। रक्षा मंत्रालय ने सेना प्रमुख (Army Chief) को टेरिटोरियल आर्मी (Territorial Army) को सक्रिय करने के लिए अतिरिक्त अधिकार सौंप दिए हैं। इस फैसले के तहत अब सेना प्रमुख जब भी जरूरी समझें, टेरिटोरियल आर्मी के अधिकारियों और जवानों को बुला सकेंगे, जो देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने में या रेगुलर आर्मी (Regular Army) के साथ मिलकर ऑपरेशंस में भाग ले सकेंगे।
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नियम 33 के तहत टेरिटोरियल आर्मी को बुलाने की शक्ति
रक्षा मंत्रालय ने यह निर्णय टेरिटोरियल आर्मी रूल्स 1948 के नियम 33 के अंतर्गत लिया है। इस नियम के अनुसार, केंद्र सरकार अब सेना प्रमुख को यह अधिकार देती है कि वे टेरिटोरियल आर्मी के किसी भी अधिकारी और जवान को जब भी ज़रूरत हो, बुला सकें। इससे पहले ऐसे अधिकार सीमित दायरे में थे और सरकार को ही अंतिम निर्णय लेना होता था। इस बदलाव के बाद सेना प्रमुख की रणनीतिक क्षमताओं में इजाफा होगा, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा की स्थिति में त्वरित निर्णय और कार्यवाही संभव हो पाएगी।
टेरिटोरियल आर्मी की भूमिका और संरचना
टेरिटोरियल आर्मी एक स्वैच्छिक सैन्य बल है जो आपात स्थिति में देश की सेवा करता है। इसमें ऐसे नागरिक शामिल होते हैं जो सामान्यतः अन्य व्यवसायों में कार्यरत होते हैं लेकिन ट्रेनिंग के माध्यम से सैन्य जिम्मेदारियों को निभाने में सक्षम होते हैं। जब आवश्यकता होती है, तो इन्हें एक्टिव ड्यूटी पर बुलाया जाता है और ये रेगुलर आर्मी के साथ समन्वय में कार्य करते हैं।
सेना प्रमुख को यह नई शक्ति मिलने के बाद अब जरूरत के समय तुरंत TA जवानों की सेवाएं ली जा सकेंगी। इससे सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा की मजबूती के साथ-साथ आंतरिक खतरों से निपटने में भी सहूलियत मिलेगी।
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रणनीतिक दृष्टिकोण से बड़ा कदम
यह फैसला ऐसे समय आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव बढ़ा हुआ है। इस पृष्ठभूमि में टेरिटोरियल आर्मी को अधिक सक्रिय बनाने का फैसला एक रणनीतिक रक्षा रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। सरकार चाहती है कि आपात स्थितियों में अधिक कुशलता और तेजी से प्रतिक्रिया दी जा सके।
इसके साथ ही यह निर्णय यह भी दर्शाता है कि भारत सरकार और रक्षा मंत्रालय अब सुरक्षा मामलों में डिसेंट्रलाइज़्ड कमांड (Decentralized Command) की ओर बढ़ रहे हैं, जहां फील्ड में मौजूद अधिकारियों को निर्णय लेने की अधिक स्वतंत्रता दी जा रही है।
टेरिटोरियल आर्मी का अब तक का योगदान
टेरिटोरियल आर्मी ने अब तक कई महत्वपूर्ण मिशनों में भाग लिया है। चाहे 1962, 1965 या 1971 की जंग हो, या फिर 1999 का कारगिल युद्ध, टेरिटोरियल आर्मी के जवानों ने हमेशा सराहनीय योगदान दिया है। इसके अलावा यह बल प्राकृतिक आपदाओं, आंतरिक अशांति और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में भी सक्रिय भूमिका निभाता आया है।
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भविष्य की तैयारियों का संकेत
रक्षा मंत्रालय का यह कदम यह भी संकेत देता है कि आने वाले समय में भारत अपनी आंतरिक और बाह्य सुरक्षा के लिए अधिक डायनमिक स्ट्रक्चर (Dynamic Structure) अपनाने जा रहा है। इससे न केवल सीमावर्ती इलाकों में तैनाती मजबूत होगी बल्कि देश के अंदर किसी भी आपात स्थिति से निपटने की तैयारियों को भी बल मिलेगा।