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Fake vs Real Medicine: दवा असली है या नकली? ये 2 सेकंड की ट्रिक बताएगी तुरंत दवाई की सच्चाई

CDSCO की रिपोर्ट में खुलासा – देश में बिक रही 25% दवाएं फर्जी, 53 दवाएं लैब टेस्ट में फेल! जानें कैसे पहचानें नकली दवा और बचाएं अपनी जान, एक स्कैन से होगा सब साफ़

By PMS News
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Fake vs Real Medicine: दवा असली है या नकली? ये 2 सेकंड की ट्रिक बताएगी तुरंत दवाई की सच्चाई
Fake vs Real Medicine: दवा असली है या नकली? ये 2 सेकंड की ट्रिक बताएगी तुरंत दवाई की सच्चाई

How Can You Tell if A Pill Is Real Or Fake? यह सवाल हाल ही में और भी गंभीर हो गया है जब सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि बाजार में बिक रही 53 दवाएं लैब जांच में फेल हो गई हैं। इन दवाओं में आम बुखार की दवा पैरासिटामोल से लेकर पेनकिलर, एंटीफंगल दवाएं, विटामिन D सप्लीमेंट्स, बीपी और डायबिटीज की दवाएं तक शामिल थीं।

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नकली दवाओं के पीछे छुपी सच्चाई

CDSCO की जांच में यह बात सामने आई कि ये दवाएं प्रसिद्ध ब्रांड्स के नाम पर बेची जा रही थीं, लेकिन वास्तव में इनका निर्माण उन कंपनियों ने नहीं किया था। जांच के दौरान जब संबंधित फार्मा कंपनियों से स्पष्टीकरण मांगा गया, तो उन्होंने बताया कि रिपोर्ट में दिए गए बैच नंबर उनके द्वारा बनाए ही नहीं गए हैं। यानी किसी फर्जी कंपनी ने उनकी ब्रांडिंग की नकल कर नकली दवाएं बाजार में उतारी हैं।

25% तक दवाएं नकली होने की आशंका

एक रिपोर्ट “Fake and Counterfeit Drugs in India – Booming Biz” के अनुसार, भारत में बिकने वाली करीब 25 प्रतिशत दवाएं नकली या सब-स्टैंडर्ड हो सकती हैं। भारत में दवा बाजार का आकार लगभग 14-17 अरब डॉलर है, जिसमें से लगभग 4.25 अरब डॉलर की दवाएं नकली होने की आशंका है।

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सरकारी अस्पतालों में भी नकली दवाएं

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सबसे अधिक नकली दवाएं सरकारी अस्पतालों में पाई गईं, जहां यह आंकड़ा 38 प्रतिशत तक पहुंच गया है। यह एक गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए गरीब और जरूरतमंद लोग सबसे ज्यादा निर्भर होते हैं।

सालाना 33% की दर से बढ़ रहा है नकली दवाओं का धंधा

भारत में नकली दवाओं का कारोबार सालाना 33 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। 2005 में यह उद्योग लगभग 67.85 करोड़ डॉलर (30 अरब रुपये) का था, जो 2020 तक बढ़कर 40 अरब रुपये का हो गया। यह वृद्धि बताती है कि देश में फर्जी दवाओं का जाल कितनी तेजी से फैल रहा है।

नकली दवाओं की पहचान कैसे करें?

नकली दवाएं देखने में बिल्कुल असली जैसी लगती हैं, लेकिन कुछ बातों पर ध्यान देने से आप इन्हें पहचान सकते हैं।

पहली बात, अगर आपने पहले से कोई दवा इस्तेमाल की है, तो उसकी पुरानी पैकेजिंग से नई पैकेजिंग की तुलना करें। अक्सर नकली दवाओं के लेबल पर स्पेलिंग या व्याकरण की गलतियां पाई जाती हैं।

दूसरी बात, अगस्त 2023 के बाद भारत सरकार ने 300 शीर्ष ब्रांडेड दवाओं की पैकेजिंग पर QR कोड या बारकोड अनिवार्य कर दिया है। असली दवा के कोड को स्कैन करने पर उसके निर्माण, बैच नंबर, एक्सपायरी आदि की जानकारी तुरंत मिल जाती है। नकली दवा के कोड स्कैन करने पर कोई जानकारी नहीं मिलती या स्कैन ही नहीं होता।

इसके अलावा, दवा की सीलिंग और पैकेजिंग को ध्यान से देखें। असली दवाओं की सील टाइट और प्रोफेशनल होती है, जबकि नकली दवाओं में सीलिंग ढीली या टूटी हुई हो सकती है।

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सरकार और उपभोक्ता की भूमिका

सरकार को इस पर और सख्त कदम उठाने की जरूरत है, जैसे ज्यादा सैंपलिंग, स्ट्रॉन्ग ट्रेसिंग सिस्टम और डिजिटल ट्रैकिंग। वहीं उपभोक्ताओं को भी सतर्क रहने की आवश्यकता है। हमेशा दवा लाइसेंस प्राप्त मेडिकल स्टोर या ऑनलाइन फार्मेसी से ही खरीदें और बिल जरूर लें।

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