
आज के समय में Property Knowledge का होना बेहद जरूरी हो गया है, खासकर जब बात अपनी संपत्ति को किराए पर देने की हो। Rental Income एक अच्छा अतिरिक्त आमदनी का स्रोत बन चुकी है, लेकिन इसके साथ कुछ कानूनी जोखिम भी जुड़े होते हैं। इनमें सबसे प्रमुख है एडवर्स पजेशन-Adverse Possession का कानून, जो अगर मकान मालिक की अनदेखी के चलते लागू हो जाए, तो किराएदार या अनधिकृत कब्जाधारी व्यक्ति आपकी ही संपत्ति पर मालिकाना हक का दावा कर सकता है।
यह भी देखें: Cyber Hack Alert: 1900 करोड़ पासवर्ड लीक! 1 क्लिक में चेक करें आपका Gmail, Facebook या बैंक अकाउंट तो नहीं हुआ हैक
इस लेख में हम एडवर्स पजेशन की प्रक्रिया, इससे जुड़े कानून और मकान मालिकों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
क्या है एडवर्स पजेशन-Adverse Possession?
एडवर्स पजेशन एक पुराना कानूनी सिद्धांत है जो भारत में ब्रिटिश शासन काल से चला आ रहा है। इसके अनुसार यदि कोई व्यक्ति बिना मालिक की अनुमति के किसी संपत्ति पर 12 वर्षों तक लगातार और खुला कब्जा बनाए रखता है, और इस दौरान असली मालिक कोई आपत्ति नहीं जताता या कानूनी कार्रवाई नहीं करता, तो कब्जाधारी व्यक्ति उस संपत्ति पर कानूनी मालिकाना हक प्राप्त कर सकता है।
इस सिद्धांत का मूल उद्देश्य उन संपत्तियों को उपयोग में लाना था जो उनके मालिकों द्वारा लावारिस छोड़ दी गई थीं। लेकिन आज के परिप्रेक्ष्य में यह कई बार विवाद और संपत्ति हानि का कारण बन जाता है।
एडवर्स पजेशन के लिए क्या शर्तें जरूरी हैं?
एडवर्स पजेशन का दावा करने के लिए कुछ सख्त कानूनी शर्तें पूरी करनी होती हैं:
- कब्जा खुला और सार्वजनिक होना चाहिए, यानी कब्जाधारी ने संपत्ति का उपयोग छिपकर नहीं बल्कि सार्वजनिक रूप से किया हो।
- कब्जा लगातार और अविच्छिन्न होना चाहिए — पूरे 12 वर्षों तक एक भी दिन की रुकावट नहीं होनी चाहिए।
- कब्जा मालिक की अनुमति के बिना होना चाहिए। अगर किराएदार रेंट एग्रीमेंट के तहत रह रहा है, तो यह एडवर्स पजेशन नहीं माना जाएगा।
- कब्जाधारी को यह साबित करना होता है कि उसने संपत्ति का उपयोग मालिक के अधिकार के विरुद्ध किया है और संपत्ति का उपयोग इस तरह किया है जैसे वह स्वयं उसका मालिक हो।
यह भी देखें: Income Tax New Rule 2025: घर में कैश रखने वालों की अब खैर नहीं! इनकम टैक्स के बदले नियम से हो सकता है बड़ा जुर्माना
मकान मालिकों के लिए संपत्ति सुरक्षा के उपाय
मकान मालिकों को एडवर्स पजेशन जैसे कानून से अपनी संपत्ति की रक्षा के लिए कई सावधानियां बरतनी चाहिए:
सबसे पहला कदम होता है कि हर किराएदार के साथ एक लिखित और कानूनी रूप से वैध Rent Agreement जरूर तैयार किया जाए। यह समझौता 11 महीने के लिए तैयार कर उसे समय-समय पर Renew करना एक अच्छा तरीका है। इससे यह प्रमाणित होता है कि किराएदार का कब्जा मालिक की अनुमति से है।
इसके अतिरिक्त, मकान मालिकों को अपनी संपत्ति का समय-समय पर निरीक्षण करते रहना चाहिए। किराएदार से संबंधित सभी दस्तावेज — जैसे Rent Receipts, बिजली और पानी के बिल, और कोई अन्य एग्रीमेंट — को सुरक्षित रखना चाहिए। ये दस्तावेज भविष्य में किसी कानूनी विवाद की स्थिति में अहम भूमिका निभाते हैं।
अदालतों का दृष्टिकोण और कानूनी व्याख्या
भारतीय न्यायालयों ने एडवर्स पजेशन से जुड़े मामलों में आमतौर पर सावधानीपूर्वक फैसला दिया है। कोर्ट इस बात का विशेष ध्यान रखती है कि क्या कब्जाधारी ने सभी आवश्यक शर्तें पूरी की हैं या नहीं। यदि मकान मालिक ने कब्जे की अवधि में किराया वसूला है या संपत्ति पर अपने अधिकार का कोई भी सबूत अदालत में प्रस्तुत किया है, तो कब्जाधारी का दावा खारिज कर दिया जाता है।
हालांकि, ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां न्यायालय ने कब्जाधारी के पक्ष में फैसला दिया, जब यह साबित हुआ कि मालिक ने संपत्ति पर लंबे समय तक कोई नियंत्रण नहीं रखा और कब्जाधारी ने पूरी संपत्ति का उपयोग मालिक की तरह किया।
यह भी देखें: Operation Sindoor: पीएम मोदी ने दिया मिशन को नाम, एयरस्ट्राइक से कांप उठा पाकिस्तान
किराएदारों को क्या समझना चाहिए?
यदि आप एक किराएदार हैं और सोचते हैं कि 12 साल बाद संपत्ति आपकी हो सकती है, तो यह इतना सरल नहीं है। एडवर्स पजेशन का दावा करना एक जटिल कानूनी प्रक्रिया है, जिसमें आपको यह साबित करना होगा कि:
- आपने लगातार 12 साल तक संपत्ति पर कब्जा बनाए रखा,
- मालिक ने कभी आपत्ति नहीं जताई,
- और आपने सार्वजनिक रूप से संपत्ति का उपयोग किया।
इसमें बिजली-पानी के बिल, संपत्ति कर और अन्य दस्तावेज जरूरी सबूत के तौर पर पेश करने होते हैं।