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2 Day Work Week: अब हफ्ते में सिर्फ 2 दिन काम! क्या सच में आ रहा है ऐसा क्रांतिकारी कानून? जानें लेटेस्ट अपडेट

AI की वजह से क्या अब हफ्ते में सिर्फ दो दिन ही काम करना पड़ेगा? जानिए कैसे दुनियाभर में बदल रहा है Work Culture और क्या भारत भी इस नई क्रांति के लिए तैयार है? पढ़ें पूरी रिपोर्ट जो आपके करियर और लाइफस्टाइल को बदल सकती है

By PMS News
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2 Day Work Week: अब हफ्ते में सिर्फ 2 दिन काम! क्या सच में आ रहा है ऐसा क्रांतिकारी कानून? जानें लेटेस्ट अपडेट
2 Day Work Week: अब हफ्ते में सिर्फ 2 दिन काम! क्या सच में आ रहा है ऐसा क्रांतिकारी कानून? जानें लेटेस्ट अपडेट

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-Artificial Intelligence की तेज़ रफ्तार तरक्की अब सिर्फ तकनीक की दुनिया को ही नहीं, बल्कि हमारे रोज़मर्रा के जीवन और कार्य संस्कृति को भी बदलने की कगार पर है। माइक्रोसॉफ्ट के को-फाउंडर बिल गेट्स का मानना है कि आने वाले 10 सालों में इंसानों को हफ्ते में सिर्फ दो या तीन दिन ही काम करना पड़ सकता है, क्योंकि ज़्यादातर काम मशीनें और AI खुद कर लेंगी।

हाल ही में दिए गए एक इंटरव्यू में बिल गेट्स ने कहा कि टेक्नोलॉजी की यह क्रांति वर्क-लाइफ बैलेंस को पूरी तरह से बदल सकती है। इंसानों को केवल क्रिएटिव या सुपरविजन वाले टास्क करने होंगे, जबकि बाकी काम AI की मदद से ऑटोमेट हो जाएगा।

बिल गेट्स का विज़न: कम काम, बेहतर ज़िंदगी

बिल गेट्स ने भविष्य की एक झलक देते हुए कहा कि जैसे-जैसे AI टेक्नोलॉजी मजबूत होती जाएगी, वैसे-वैसे कंपनियों को इंसानों की ज़रूरत कम होती जाएगी। इसका एक सकारात्मक पहलू यह हो सकता है कि लोगों को अपने निजी जीवन के लिए ज़्यादा समय मिल सकेगा, जिससे वर्क-लाइफ बैलेंस में सुधार होगा।

गेट्स के अनुसार, अगर AI सही तरीके से इम्प्लीमेंट की गई तो लोगों को हफ्ते में केवल दो या तीन दिन ऑफिस जाना पड़ सकता है और बाकी समय वे अपने परिवार, हेल्थ और क्रिएटिविटी के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।

दुनिया में कहां-कहां हो रहा है 4 डे वर्क वीक का ट्रायल

गेट्स का यह आइडिया कोई कल्पना मात्र नहीं है। दुनिया के कई देश पहले से ही 4 दिन के वर्क वीक पर काम कर रहे हैं और कई देशों में इसकी सफलता के संकेत भी मिल चुके हैं।

आइसलैंड

आइसलैंड ने 2015 से 2019 के बीच चार दिन के वर्क वीक पर ट्रायल किया था। इस दौरान कर्मचारियों की प्रोडक्टिविटी में कोई गिरावट नहीं आई, बल्कि कुछ मामलों में यह बढ़ी भी। इस प्रयोग के बाद अब देश की 85% से ज्यादा वर्कफोर्स को कम घंटे काम करने की सुविधा दी जा रही है।

बेल्जियम

बेल्जियम ने 2022 में एक कानून पास किया जिसके तहत कर्मचारी चाहें तो 5 दिन का काम 4 दिन में पूरा कर सकते हैं, वह भी बिना वेतन कटौती के। इससे कर्मचारियों को ज़्यादा निजी समय मिलता है और उन्हें मानसिक राहत भी मिलती है।

जापान

टेक्नोलॉजी में अग्रणी देश जापान में Microsoft Japan ने 4 डे वर्क वीक का ट्रायल किया। नतीजा यह रहा कि कर्मचारियों की प्रोडक्टिविटी में 40% तक का इजाफा देखने को मिला। यह प्रयोग भी AI और ऑटोमेशन की मदद से किया गया था।

यूनाइटेड किंगडम (UK)

ब्रिटेन में 2022 में देश का सबसे बड़ा ट्रायल हुआ जिसमें 61 कंपनियों ने भाग लिया। नतीजे इतने सकारात्मक रहे कि 90% कंपनियों ने इसे स्थायी रूप से लागू कर दिया।

पुर्तगाल

पुर्तगाल की सरकार ने भी 4 दिन के वर्क वीक की टेस्टिंग शुरू की है। इसका उद्देश्य यह देखना है कि इससे कर्मचारियों और कंपनियों दोनों को किस हद तक लाभ मिल सकता है।

और किन देशों में हो रही है इस पर चर्चा?

वर्तमान में कई और देश इस दिशा में चर्चा कर रहे हैं और प्राइवेट कंपनियों ने शुरुआती स्तर पर ट्रायल शुरू कर दिया है।

  • जर्मनी में ट्रेड यूनियन इस मॉडल को लागू करने की मांग कर रही हैं।
  • न्यूजीलैंड की कुछ कंपनियों ने वर्क वीक को छोटा करने का प्रयोग शुरू किया है।
  • स्पेन सरकार कंपनियों को सब्सिडी दे रही है ताकि वे 4 डे वर्क वीक ट्रायल कर सकें।
  • अमेरिका के कैलिफोर्निया जैसे राज्य इस मॉडल पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं।

भारत की स्थिति क्या है?

भारत में फिलहाल सरकारी या बड़े स्तर पर 4 डे वर्क वीक को लेकर कोई गंभीर चर्चा नहीं हुई है। लेकिन कुछ स्टार्टअप्स और टेक कंपनियों ने फ्लेक्सिबल वर्किंग डेज़ की शुरुआत कर दी है। साथ ही वर्क फ्रॉम होम कल्चर ने इस दिशा में कुछ संभावनाएं ज़रूर पैदा की हैं।

हालांकि, भारत जैसे विशाल और विविध देश में इस तरह का मॉडल तभी सफल हो सकता है जब तकनीक और नीतियों का सही संतुलन बनाया जाए।

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