समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) के तहत सैनिकों को वसीयत से जुड़े विशेष प्रावधानों की सुविधा प्रदान की गई है। यह प्रावधान सैनिकों की सेवा और उनके कार्यस्थल की कठिन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं। UCC के तहत, ड्यूटी पर तैनात सैनिकों की मौखिक और हस्तलिखित इच्छाओं को ‘प्रिविलेज्ड वसीयत’ का दर्जा दिया जाएगा, जिससे उनकी संपत्ति संबंधित इच्छाओं को प्रभावी रूप से लागू किया जा सके।
एक महीने की सीमित वैधता
UCC नियमों के अनुसार, सैनिकों की प्रिविलेज्ड वसीयत की वैधता मात्र एक माह होगी। यदि वसीयतकर्ता जीवित है, तो एक महीने बाद यह वसीयत स्वतः ही अमान्य हो जाएगी। साथ ही, सैनिक के रिटायर होने या सेवा समाप्त होने पर भी यह वसीयत मान्य नहीं रहेगी। यह व्यवस्था कठिन परिस्थितियों में सैनिकों के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए बनाई गई है, लेकिन इसे भविष्य में एक नई प्रिविलेज्ड वसीयत बनाकर रद्द या संशोधित किया जा सकता है।
कठिन परिस्थितियों में सैनिकों को राहत
UCC के इस प्रावधान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उच्च जोखिम वाली स्थितियों में तैनात सैनिक भी अपनी संपत्ति और अन्य इच्छाओं को बिना औपचारिकताओं के आसानी से दर्ज करा सकें। यदि कोई सैनिक अपनी वसीयत स्वयं लिखता है, तो उसे साक्ष्य या हस्ताक्षर की औपचारिकता से छूट दी गई है। लेकिन यह जरूरी है कि दस्तावेज़ सैनिक की वास्तविक इच्छा से तैयार किया गया हो।
डिजिटल वसीयत की सुविधा
समान नागरिक संहिता के तहत आम नागरिकों को भी वसीयत दर्ज करने के लिए UCC पोर्टल पर सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इससे वसीयत को डिजिटल रूप से सुरक्षित रखा जा सकेगा। हालांकि, वसीयत का पंजीकरण हर व्यक्ति के लिए अनिवार्य नहीं होगा, लेकिन यह सुविधा संपत्ति के बंटवारे में विवादों को कम करने में मददगार साबित हो सकती है।