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वक्फ बोर्ड की 78% जमीन सरकार की? सर्वे से मचा बवाल, मुस्लिम समुदाय में नाराजगी!

वाराणसी में वक्फ बोर्ड की 406 जमीनों को सरकारी घोषित करते हुए जिला प्रशासन ने रिपोर्ट शासन को भेजी है। मुस्लिम समुदाय ने इसे गलत बताया है और दस्तावेज़ पेश करने की बात कही है। प्रशासन का दावा है कि सर्वे प्रमाणिक है। यह मामला अब कानूनी लड़ाई का रूप ले सकता है। वक्फ संपत्तियों को लेकर प्रदेश में बड़ा विवाद खड़ा हो चुका है, जिसकी जांच और फैसले पर सभी की नजरें टिकी हैं।

By PMS News
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वक्फ बोर्ड की 78% जमीन सरकार की? सर्वे से मचा बवाल, मुस्लिम समुदाय में नाराजगी!
वक्फ बोर्ड

वक्फ बोर्ड से जुड़े मामलों पर हाल ही में जेपीसी (JPC) की बैठक लखनऊ में आयोजित हुई, जहां उत्तर प्रदेश में किए गए सर्वेक्षण ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए। रिपोर्ट में सामने आया कि वक्फ बोर्ड की 78 प्रतिशत जमीनें सरकारी हैं। वाराणसी में जिला प्रशासन द्वारा वक्फ संपत्तियों पर किए गए सर्वे की रिपोर्ट ने भी इस विवाद को नया मोड़ दिया है। प्रशासन द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ों के अनुसार, वाराणसी की 406 जमीनें सरकारी हैं, जिन पर वक्फ बोर्ड ने कब्जा किया हुआ है।

वाराणसी का सर्वे और मुख्य निष्कर्ष

वाराणसी में वक्फ बोर्ड के नाम पर कुल 1637 संपत्तियां दर्ज हैं, जिनमें से 1537 जमीनें सुन्नी वक्फ बोर्ड के अंतर्गत आती हैं और 100 जमीनें शिया वक्फ बोर्ड के तहत। जिला प्रशासन की जांच में पता चला कि इन संपत्तियों में से 406 जमीनें सरकारी हैं। प्रशासन का कहना है कि इस रिपोर्ट में तमाम जरूरी दस्तावेज़ संलग्न किए गए हैं, जिनमें ग्राम पंचायत, चारागाह, और अन्य सरकारी भूमि का विवरण शामिल है। इस सर्वे की रिपोर्ट अब शासन के पास है और अंतिम निर्णय वहीं से लिया जाएगा।

मुस्लिम समुदाय की प्रतिक्रिया

इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इस पर आपत्ति जताई है। ज्ञानवापी मामले के मुस्लिम पक्षकार मुख्तार ने इस रिपोर्ट को गलत बताया। उन्होंने कहा कि यह संभव नहीं है कि 406 जमीनें सरकारी हों। उनका तर्क है कि वक्फ बोर्ड के पास इन संपत्तियों के दस्तावेज़ सुरक्षित हैं और सरकार को उन पर गौर करना चाहिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वक्फ बोर्ड की कई जमीनों पर किसी अन्य का कब्जा है, जो रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया।

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कानूनी लड़ाई और संभावित परिणाम

वक्फ बोर्ड की संपत्तियों से जुड़े मामले पर अब कानूनी विवाद बढ़ने की संभावना है। अधिवक्ता निशान आलम का कहना है कि रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाना चाहिए ताकि सभी पक्ष इसकी सच्चाई परख सकें। उन्होंने बताया कि इस रिपोर्ट के लिए विस्तृत सरकारी अध्ययन हुआ है और पुराने रिकॉर्ड को भी खंगाला गया है। अगर वक्फ बोर्ड को नोटिस मिलता है तो यह मामला अदालत तक पहुंच सकता है।

प्रशासन का पक्ष

जिला प्रशासन का दावा है कि सर्वे रिपोर्ट पूरी तरह से प्रमाणिक है। एडीएम एफआर वंदिता श्रीवास्तव ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि यह रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है और आगे के निर्देशों का इंतजार है। प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रारंभिक जांच में यह पुख्ता हो चुका है कि वक्फ बोर्ड ने सरकारी संपत्तियों पर कब्जा किया है।

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