भारत सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि स्वामित्व सुनिश्चित करने के लिए ‘स्वामित्व योजना’ की शुरुआत की है। इस योजना के तहत, ड्रोन और जीआईएस तकनीक का उपयोग करके गांवों का सर्वेक्षण किया जा रहा है, जिससे ग्रामीणों को उनकी संपत्ति के स्वामित्व का कानूनी प्रमाण पत्र, जिसे ‘संपत्ति कार्ड’ कहा जाता है, प्रदान किया जाएगा। इससे न केवल संपत्ति विवादों में कमी आएगी, बल्कि बैंकों से ऋण प्राप्त करना भी आसान होगा।
स्वामित्व योजना ग्रामीण भारत में भूमि स्वामित्व को कानूनी मान्यता प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल संपत्ति विवादों में कमी आएगी, बल्कि ग्रामीणों को आर्थिक सशक्तिकरण और विकास के नए अवसर भी प्राप्त होंगे। सरकार की यह पहल ग्रामीण समुदायों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता रखती है।
स्वामित्व योजना का उद्देश्य
स्वामित्व योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि के रिकॉर्ड को डिजिटल रूप से तैयार करना है, ताकि वे अधिक पारदर्शी और सुरक्षित हो सकें। इससे भूमि के अधिकार स्पष्ट रूप से परिभाषित होंगे और भूमि विवादों में कमी आएगी। इसके अलावा, कानूनी स्वामित्व स्थापित होने से ग्रामीणों को बैंकों से ऋण लेने में आसानी होगी, जिससे आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा।
योजना के तहत सर्वेक्षण और वितरण
सरकार का लक्ष्य मार्च 2026 तक 3.45 लाख गांवों में ड्रोन तकनीक से सर्वेक्षण पूरा करना है। अब तक 3.17 लाख गांवों का सर्वेक्षण किया जा चुका है, और 1.37 करोड़ स्वामित्व कार्ड वितरित किए गए हैं। हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 50,000 गांवों में 58 लाख संपत्ति कार्ड वितरित किए।
राज्यों की पहल
उत्तर प्रदेश में, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिसंबर 2023 तक राज्य के एक करोड़ 25 लाख परिवारों को पीएम स्वामित्व योजना के तहत पट्टे की जमीन का मालिकाना हक देने की घोषणा की है। इससे ग्रामीणों को उनकी संपत्ति पर कानूनी अधिकार प्राप्त होगा, जो आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
हरियाणा सरकार ने भी एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 20 साल पुराने पंचायती जमीन पर बने मकानों के कब्जाधारकों को मालिकाना हक देने का निर्णय लिया है। यह योजना 100 से 500 गज तक के मकानों पर लागू होगी, हालांकि तालाब, फिरनी और कृषि भूमि पर बने मकान इसमें शामिल नहीं होंगे। इसके अतिरिक्त, जिन गांवों में पंचायत की जमीन उपलब्ध नहीं है, वहां पात्र व्यक्तियों के खातों में एक लाख रुपये की राशि भेजी जाएगी ताकि वे प्लॉट खरीद सकें।
योजना के लाभ
स्वामित्व योजना के तहत संपत्ति कार्ड प्राप्त करने से ग्रामीणों को कई लाभ होंगे:
- संपत्ति का कानूनी प्रमाण पत्र मिलने से संपत्ति विवादों में कमी आएगी।
- संपत्ति को गिरवी रखकर बैंकों से ऋण लेना आसान होगा, जिससे आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
- कानूनी स्वामित्व से ग्रामीण विकास की नई संभावनाएं खुलेंगी, जैसे छोटे व्यवसायों की स्थापना और बुनियादी ढांचे का विकास।
संपत्ति कार्ड कैसे प्राप्त करें?
स्वामित्व योजना के तहत संपत्ति कार्ड प्राप्त करने के लिए, ग्रामीणों को अपने संबंधित ग्राम पंचायत या स्थानीय राजस्व विभाग से संपर्क करना होगा। सर्वेक्षण के बाद, पात्र व्यक्तियों को संपत्ति कार्ड वितरित किए जाएंगे। इसके लिए आवश्यक दस्तावेजों में आधार कार्ड, राशन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, मोबाइल नंबर, यूनिक आईडी कार्ड, बैंक पासबुक, और पासपोर्ट साइज फोटो शामिल हैं।
चुनौतियाँ और समाधान
हालांकि स्वामित्व योजना ग्रामीण भारत के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ भी हैं:
- ड्रोन सर्वेक्षण और डिजिटल मैपिंग के लिए उच्च तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है।
- कुछ राज्यों ने इस योजना में हिस्सा नहीं लिया है, जिससे वहां के ग्रामीणों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।
इन चुनौतियों के समाधान के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय और तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रमों की आवश्यकता है।