तलाक के बाद का जीवन केवल भावनात्मक ही नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से भी चुनौतीपूर्ण होता है। इस संदर्भ में एलिमनी (Alimony) या गुजारा भत्ता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि एलिमनी पर टैक्स का असर पड़ सकता है? एलिमनी टैक्सेबल इन इंडिया (Alimony Taxable in India) का यह विषय वित्तीय योजना के लिए बेहद जरूरी है। आइए समझते हैं कि एलिमनी के टैक्सेशन के विभिन्न पहलुओं को।
एलिमनी टैक्सेबल इन इंडिया का यह विषय तलाक के बाद के वित्तीय प्रभावों को समझने के लिए आवश्यक है। सही कानूनी जानकारी और टैक्सेशन नियमों का पालन करके आप अपने वित्तीय भविष्य को सुरक्षित बना सकते हैं।
एलिमनी और कानूनी प्रावधान
भारत में एलिमनी हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 और अन्य संबंधित कानूनों के तहत निर्धारित की जाती है। तलाक के बाद यह पति द्वारा अपनी पूर्व पत्नी को दी जाने वाली आर्थिक सहायता है। एलिमनी को मुख्य रूप से दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है:
- लंप सम एलिमनी (एकमुश्त भुगतान):
जब एलिमनी एकमुश्त दी जाती है, तो इसे कैपिटल रिसीट माना जाता है। दिल्ली हाईकोर्ट ने ACIT बनाम मीनाक्षी खन्ना मामले में स्पष्ट किया कि एकमुश्त एलिमनी टैक्स से मुक्त होती है। - मासिक भुगतान:
मासिक आधार पर दी जाने वाली एलिमनी को रेवेन्यू रिसीट माना जाता है। इसे प्राप्तकर्ता की आय में जोड़ा जाता है और टैक्सेबल माना जाता है।
टैक्सेशन के नियम: मासिक और एकमुश्त एलिमनी का अंतर
लंप सम एलिमनी:
लंप सम एलिमनी पर टैक्स नहीं लगता क्योंकि इसे पूंजीगत आय (Capital Receipt) माना जाता है। हालांकि, इसमें शर्त यह है कि मासिक भुगतान के अधिकार को पूरी तरह छोड़ा गया हो।
मासिक एलिमनी:
मासिक भुगतान के रूप में दी गई एलिमनी को आयकर अधिनियम के तहत अन्य स्रोतों से आय (Income from Other Sources) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इस पर टैक्स लगाया जाता है और इसे आयकर रिटर्न में शामिल करना आवश्यक है।
संपत्ति के रूप में एलिमनी का टैक्सेशन
जब एलिमनी नकद के बजाय संपत्ति (जैसे जमीन, घर, शेयर) के रूप में दी जाती है, तो टैक्सेशन के नियम जटिल हो जाते हैं।
- तलाक से पहले हस्तांतरित संपत्ति:
इसे आयकर अधिनियम की धारा 56(2)(x) के तहत कर-मुक्त उपहार (Tax-Free Gift) माना जा सकता है। - तलाक के बाद हस्तांतरित संपत्ति:
तलाक के बाद, पति-पत्नी का कानूनी संबंध समाप्त हो जाने के कारण, संपत्ति को उपहार नहीं माना जाता और इस पर टैक्सेशन लागू हो सकता है।
एलिमनी देने वाले के लिए टैक्स नियम
एलिमनी का भुगतान करने वाले व्यक्ति को इसे अपनी कर योग्य आय (Taxable Income) से कटौती के रूप में दावा करने की अनुमति नहीं है। यह स्पष्ट करता है कि एलिमनी पर कोई कर छूट नहीं मिलती।
टैक्स रिटर्न में एलिमनी का सही उल्लेख क्यों आवश्यक है?
जो लोग मासिक एलिमनी प्राप्त करते हैं, उन्हें इसे आयकर रिटर्न में सही तरीके से दिखाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो आयकर विभाग द्वारा जुर्माना और ब्याज लगाया जा सकता है।
भारत में एलिमनी टैक्सेशन से जुड़ी कानूनी अस्पष्टता
भारतीय आयकर अधिनियम में एलिमनी के टैक्सेशन को लेकर कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। अधिकांश मामलों में यह अदालत के फैसलों पर निर्भर करता है।