राज्य सरकार ने छात्रों को नशे के दुष्प्रभावों से बचाने के लिए एक अहम कदम उठाया है। आगामी शैक्षणिक सत्र 2025-26 से स्कूलों में नशा विरोधी शिक्षा (Anti-Drug Education) को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इस नई पहल का उद्देश्य बच्चों को नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करना और समाज को नशामुक्त बनाना है। इस सिलेबस में नशे के प्रभाव, उससे बचाव के उपाय, और लत से छुटकारा पाने के तरीकों पर विस्तार से जानकारी दी जाएगी।
नशा मुक्ति अभियान को मिली नई दिशा
राज्य सरकार ने नशे पर लगाम लगाने के लिए एक नई नीति तैयार की है, जो अगले 2-3 महीनों में लागू हो सकती है। इस नीति के तहत स्कूलों में नशा विरोधी शिक्षा को अनिवार्य बनाना इसका मुख्य उद्देश्य है। यह अभियान खासकर नाबालिग छात्रों को नशे की लत से बचाने और उनके मानसिक विकास को सकारात्मक दिशा में बढ़ाने पर केंद्रित होगा।
इसके साथ ही, इस अभियान की निगरानी के लिए एक तालमेल कमेटी (Coordination Committee) का गठन किया गया है। इस कमेटी की अध्यक्षता मुख्य सचिव के. ए. पी. सिन्हा करेंगे, जबकि नोडल अधिकारी राहुल तिवारी होंगे। कमेटी का मुख्य फोकस नाबालिग बच्चों को नशे से बचाने पर रहेगा।
मास्टर ट्रेनर्स करेंगे छात्रों को जागरूक
स्कूल और उच्च शिक्षा विभाग ने नशा विरोधी पाठ्यक्रम को प्रभावी बनाने के लिए मास्टर ट्रेनर्स की एक टीम तैयार करने की योजना बनाई है। इन प्रशिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वे बच्चों को नशे के प्रभाव और उससे बचाव के उपाय बेहतर ढंग से समझा सकें।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में पंजाब पुलिस की कम्युनिटी विंग (Community Wing) भी सहयोग करेगी। पुलिस की यह भागीदारी अभियान को अधिक प्रभावी बनाने में मदद करेगी।
महिलाओं के लिए विशेष नशा मुक्ति योजना
महिलाओं के नशे की लत से बाहर निकलने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए राज्य सरकार ने एक विशेष योजना बनाई है। इस योजना के तहत लुधियाना में एक नशा मुक्ति और पुनर्वास क्लिनिक (De-addiction and Rehabilitation Clinic) स्थापित किया जाएगा।
इस योजना का मुख्य लक्ष्य महिलाओं को नशे की गिरफ्त से बाहर निकालना और उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल करना है। इन क्लिनिकों में महिलाओं को काउंसलिंग और अन्य आवश्यक सेवाएं प्रदान की जाएंगी।
राज्य में 300 से अधिक नशा मुक्ति केंद्र
वर्तमान में, राज्य में 300 से अधिक नशा मुक्ति केंद्र (De-addiction Centers) काम कर रहे हैं। इन केंद्रों में आने वाले अधिकतर युवा वर्ग के लोग हैं, जो नशे की लत के कारण अपनी शिक्षा और जीवन के अन्य पहलुओं में पिछड़ रहे हैं।
राज्य सरकार की नई नीति इन केंद्रों को और अधिक प्रभावी बनाने और युवाओं को बेहतर पुनर्वास सेवाएं प्रदान करने पर केंद्रित है।
नशा विरोधी शिक्षा के फायदे
स्कूलों में नशा विरोधी शिक्षा को शामिल करने से छात्रों को नशे के खिलाफ जागरूक किया जा सकेगा। यह पहल बच्चों को सही दिशा में आगे बढ़ने और नशे की लत से बचने के लिए प्रेरित करेगी।
- छात्रों को सही दिशा: यह पाठ्यक्रम बच्चों को जीवन में सकारात्मक आदतें अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
- परिवार और समाज पर प्रभाव: छात्रों में जागरूकता से उनके परिवार और समुदाय पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- भविष्य की पीढ़ी का सशक्तिकरण: नशा विरोधी शिक्षा से बच्चों में आत्मविश्वास और सही निर्णय लेने की क्षमता विकसित होगी।
डिजिटल माध्यम से जागरूकता अभियान
राज्य सरकार स्कूल पाठ्यक्रम के साथ-साथ डिजिटल माध्यमों का भी उपयोग करेगी।
- ऑनलाइन सेमिनार और वेबिनार: छात्रों और अभिभावकों के लिए नियमित ऑनलाइन सत्र आयोजित किए जाएंगे।
- डिजिटल सामग्री: नशे के दुष्प्रभावों पर आधारित वीडियो, एनिमेशन और डिजिटल पुस्तिकाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।
राष्ट्रीय स्तर पर प्रेरणा बनेगी पंजाब की नई नीति
पंजाब की यह पहल पूरे देश के लिए एक प्रेरणा साबित हो सकती है। अन्य राज्यों को भी इस दिशा में कदम उठाने और नशा विरोधी शिक्षा को अपने स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल करने पर विचार करना चाहिए। यह कदम न केवल युवाओं को नशे की लत से बचाएगा, बल्कि उन्हें जीवन में सही दिशा भी प्रदान करेगा।