प्याज उत्पादन में किसानों को बेहतर लाभ दिलाने और गुणवत्ता सुधारने के लिए शस्त्राशुद कंडाचल खेती एक उन्नत विधि के रूप में उभर रही है। पारंपरिक तरीकों में प्याज को जमीन पर फैला कर संग्रहित किया जाता है, जिससे सड़ने का खतरा बढ़ जाता है। इसे देखते हुए, राज्य सरकार ने राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत किसानों को सब्सिडी प्रदान कर इस समस्या का समाधान प्रस्तुत किया है।
योजना का लाभ कैसे उठाएं?
राज्य सरकार ने प्याज किसानों को वित्तीय सहायता देने के लिए एक विशेष योजना शुरू की है। इसके तहत किसानों को उनकी प्याज की फसल की लागत का 50% या अधिकतम ₹3500/- प्रति टन तक सब्सिडी दी जाएगी। यह सब्सिडी 25 टन क्षमता तक की फसलों के लिए लागू होगी। योजना का उद्देश्य किसानों को प्याज की गुणवत्ता सुधारने के साथ-साथ उनकी आय में वृद्धि करना है।
किसानों को मिलेगा 50% तक अनुदान
इस योजना में किसानों को फसल लागत का 50% तक अनुदान दिया जाएगा। अनुदान की यह राशि 5, 10, 15, 20 और 25 टन क्षमता के आधार पर दी जाती है। हालांकि, इसका अधिकतम सीमा ₹3500/- प्रति टन तक है। ध्यान देने वाली बात यह है कि यह लाभ केवल 25 टन क्षमता तक की फसल के लिए ही उपलब्ध है।
योजना की पात्रता
इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को कुछ शर्तें पूरी करनी होंगी:
- किसान के पास अपनी कृषि भूमि होनी चाहिए।
- प्याज की फसल को 7/12 दस्तावेज़ में दर्ज किया जाना अनिवार्य है।
- व्यक्तिगत किसान, किसान समूह, स्वयं सहायता समूह, किसान महिला समूह, किसान उत्पादक संघ, पंजीकृत कृषि समितियां, और सहकारी समितियां इस योजना के पात्र हैं।
ऑनलाइन पंजीकरण और आवश्यक दस्तावेज
इस योजना के लिए पंजीकरण ऑनलाइन किया जा सकता है। इच्छुक किसान http://www.hortnet.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।
आवश्यक दस्तावेज़:
- 7/12 प्रतिलेख
- 8 ए
- आधार कार्ड की फोटोकॉपी
- आधार से जुड़े बैंक खाते की पासबुक का प्रथम पृष्ठ
- जाति प्रमाण पत्र (यदि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के किसान हैं)
- पहले किसी अन्य योजना से कंडाचल लाभ न लेने का शपथ पत्र
पंजीकरण की प्रक्रिया
पंजीकरण के बाद किसानों को सभी दस्तावेज़ों के साथ तालुका कृषि अधिकारी के कार्यालय में आवेदन जमा करना होगा। आवेदन की स्वीकृति के बाद ही किसान प्याज की शस्त्राशुद कंडाचल खेती की शुरुआत कर सकते हैं। यह खेती दो माह के भीतर स्थापित की जानी चाहिए।