केंद्र सरकार में लगभग सात लाख कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले ‘कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स’ ने केंद्र सरकार से मांग की है कि पेंशन के कम्युटेशन की बहाली की अवधि को मौजूदा 15 वर्षों से घटाकर 12 वर्षों तक सीमित किया जाए। महासचिव एसबी यादव के अनुसार, पिछले 38 वर्षों में कम्युटेशन तालिका के कई पैरामीटर बदल चुके हैं, जिनमें ब्याज दर, जीवन प्रत्याशा और जोखिम कारक शामिल हैं।
कम्युटेशन का मतलब है कि कर्मचारी अपनी बेसिक पेंशन का 40% हिस्सा एडवांस में प्राप्त कर सकता है, जिसे सरकार बाद में उसकी पेंशन से कटौती कर रिकवर करती है। वर्तमान में, यह रिकवरी 15 वर्षों तक जारी रहती है। विभिन्न केंद्रीय कर्मचारी संगठनों और राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) ने भी यह मांग उठाई है कि इस अवधि को 12 वर्षों तक सीमित किया जाए।
कम्युटेशन और पेंशन बहाली की प्रक्रिया
जब कोई कर्मचारी कम्युटेशन का विकल्प चुनता है, तो वह अपनी सात वर्षों की पेंशन का 40% एडवांस में लेता है। इसके बाद, बैंक पेंशनधारक के खाते में कम्युटेड राशि जमा करता है और उसकी पेंशन से यह राशि 15 वर्षों तक काटी जाती है। 15 साल पूरे होने के बाद, पेंशनधारक को उसकी पूरी पेंशन मिलनी शुरू होती है।
हालांकि, कई राज्य सरकारें पहले ही 12 साल की अवधि में पेंशन की बहाली कर चुकी हैं। केरल और गुजरात जैसे राज्यों ने क्रमशः 12 और 13 साल के बाद बहाली का नियम लागू किया है।
सिफारिशें और न्यायिक समर्थन
5वें केंद्रीय वेतन आयोग (CPC) ने पेंशन बहाली की अवधि को 12 वर्षों तक सीमित करने की सिफारिश की थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। मृत्यु दर तालिकाओं के अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ है कि 1986 से अब तक जीवन प्रत्याशा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
1986 में जीवन प्रत्याशा 57.7 वर्ष थी, जो 2023 में 70.42 वर्ष तक पहुंच चुकी है। इसके साथ ही जोखिम कारकों में कमी आई है। इन परिस्थितियों में पेंशन बहाली की अवधि को 12 वर्षों तक सीमित करना व्यावहारिक और न्यायसंगत लगता है।