News knowledge

GST New Rules 2025: GST में बड़ा बदलाव! 2025 से लागू होगा नया नियम, बिजनेस करने वालों के लिए जानना है जरूरी!

2025 से लागू होने वाले जीएसटी के नए नियम व्यापारियों के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आ रहे हैं। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि कैसे मल्टी फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA) और ई-वे बिल प्रणाली में बदलाव व्यापारियों को प्रभावित करेंगे और क्या कदम उठाए जाने चाहिए।

By PMS News
Published on
GST New Rules 2025: GST में बड़ा बदलाव! 2025 से लागू होगा नया नियम, बिजनेस करने वालों के लिए जानना है जरूरी!
GST New Rules 2025

2025 से भारत में जीएसटी (GST) के नए नियम लागू होने जा रहे हैं, जो खासकर उन व्यापारियों को प्रभावित करेंगे जिनका वार्षिक टर्नओवर 20 करोड़ रुपये या उससे अधिक है। इन नए नियमों का उद्देश्य कारोबार में पारदर्शिता बढ़ाना, फर्जी बिलिंग को रोकना और सुरक्षा को मजबूत करना है। आइए जानते हैं इन बदलावों के बारे में विस्तार से।

नए जीएसटी नियमों का मुख्य उद्देश्य

2025 से लागू होने वाले नए जीएसटी नियमों का मुख्य उद्देश्य व्यापारियों के लेन-देन में पारदर्शिता लाना और धोखाधड़ी को रोकना है। खासकर फर्जी बिलिंग और टैक्स चोरी को रोकने के लिए मल्टी फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA) का सिस्टम लागू किया जाएगा। यह बदलाव व्यापारियों के लिए एक चुनौती के रूप में सामने आ सकता है, लेकिन इसका उद्देश्य टैक्स चोरी को नियंत्रित करना और जीएसटी व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाना है।

MFA का क्या है मतलब और कैसे होगा असर?

MFA का मतलब मल्टी फैक्टर ऑथेंटिकेशन है, जो एक सुरक्षा प्रणाली है। इसके तहत, 20 करोड़ रुपये या उससे अधिक का टर्नओवर करने वाले व्यापारियों को दो या दो से ज्यादा सुरक्षा स्टेप्स से गुजरना होगा, जिससे उनके लेन-देन अधिक सुरक्षित हो सकेंगे। अगर आपका टर्नओवर 5 करोड़ रुपये से अधिक है, तो 1 अप्रैल 2025 से यह नियम लागू हो जाएगा।

ई-वे बिल और ई-इनवॉयसिंग में बदलाव

ई-वे बिल और ई-इनवॉयसिंग जीएसटी प्रणाली के महत्वपूर्ण हिस्से हैं। नए नियमों के तहत, ई-वे बिल की वैधता को लेकर भी बदलाव किए गए हैं।

  • ई-वे बिल जनरेट करने की समय सीमा: अब चालान की तारीख से 180 दिनों के भीतर ई-वे बिल जनरेट नहीं किया जा सकेगा।
  • ई-वे बिल की वैधता: अब ई-वे बिल केवल 360 दिनों तक ही वैध रहेगा, यानी एक साल बाद यह एक्सपायर हो जाएगा।

इस बदलाव का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि माल के परिवहन में अधिक समय तक बिलिंग की जानकारी सही रहे और कोई भी धोखाधड़ी न हो।

ई-वे बिल का क्या है महत्व?

ई-वे बिल (Electronic Way Bill) एक डिजिटल दस्तावेज है, जिसे माल के एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए तैयार किया जाता है। जब कोई व्यापारी 50,000 रुपये या उससे अधिक का माल खरीदता है, तो उसे ई-वे बिल जनरेट करना अनिवार्य होता है। यह बिल माल की ट्रैकिंग में मदद करता है और यह सुनिश्चित करता है कि माल की आवाजाही सही तरीके से हो रही है।

Also Read78 लाख पेंशनर्स को मिलने जा रहा Arrear का पैसा, जानिए कब तक आएगा खाते में, देखें अपडेट

78 लाख पेंशनर्स को मिलने जा रहा Arrear का पैसा, जानिए कब तक आएगा खाते में, देखें अपडेट

ई-वे बिल को जीएसटी पोर्टल पर ऑनलाइन जनरेट किया जाता है और इसमें 12 अंकों का यूनिक नंबर होता है। यह सिस्टम पूरे भारत में वस्तु परिवहन के ट्रैकिंग को सुसंगत बनाता है।

ई-वे बिल जनरेट करने की प्रक्रिया

ई-वे बिल जनरेट करने की प्रक्रिया ऑनलाइन होती है और इसे कुछ सरल चरणों में पूरा किया जा सकता है। इसके लिए व्यापारी को जीएसटी पोर्टल या ई-वे बिल पोर्टल पर लॉगिन करना होता है, जहां वे माल की जानकारी दर्ज करते हैं। इसके बाद, सिस्टम एक यूनिक 12 अंकों का नंबर जनरेट करता है जिसे व्यापारी को अपने माल के साथ रखना होता है।

ई-वे बिल के बिना माल का परिवहन करना अवैध होता है। यदि किसी व्यापारी के पास वैध ई-वे बिल नहीं होता, तो उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है और माल को भी जब्त किया जा सकता है।

ई-वे बिल न होने पर क्या होता है?

ई-वे बिल का उपयोग नहीं करने पर माल को जब्त किया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। जुर्माना माल के मूल्य का 10% या फिर 10,000 रुपये से ज्यादा हो सकता है, जो भी अधिक हो। इसके अलावा, यदि माल बिना ई-वे बिल के पकड़ा जाता है, तो डिलीवरी में देरी भी हो सकती है। इससे व्यवसायी को नुकसान हो सकता है।

Also Read10 Rupees Coin: सरकार का बड़ा ऐलान, ₹10 के सिक्के को लेकर RBI ने जारी किए गाइडलाइन

10 Rupees Coin: सरकार का बड़ा ऐलान, ₹10 के सिक्के को लेकर RBI ने जारी किए गाइडलाइन

Leave a Comment

हमारे Whatsaap ग्रुप से जुड़ें