भारत, एक कृषि प्रधान देश, लंबे समय से रासायनिक खेती (Chemical Farming) पर निर्भर रहा है। हरित क्रांति के दौर में यह तकनीक किसानों के लिए वरदान साबित हुई, लेकिन धीरे-धीरे इसके दुष्प्रभाव सामने आने लगे। मृदा की गुणवत्ता में गिरावट, पानी का अत्यधिक उपयोग, और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों ने किसानों को वैकल्पिक तरीकों की ओर सोचने पर मजबूर कर दिया।
आज, बड़ी संख्या में किसान प्राकृतिक खेती (Natural Farming) और जैविक खेती की ओर रुख कर रहे हैं। गुजरात के नवसारी जिले के जलालपुर तालुका के कांतीभाई पटेल इसका जीता-जागता उदाहरण हैं।
गुजरात में जैविक खेती का बढ़ता प्रभाव
गुजरात के नवसारी जिले के जलालपुर तालुका के कांतीभाई पटेल ने 2017 में रासायनिक खेती छोड़कर जैविक खेती की शुरुआत की। कांतीभाई ने प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हुए अपनी पांच बीघा जमीन पर अनाज, सब्जियां और फल उगाने का फैसला किया। आज उनके खेत में पपीता, केला, चीकू, मिर्च, भिंडी जैसी फसलें लहलहा रही हैं। जैविक खेती के तहत उन्होंने जैविक खाद और केंचुआ खाद का उपयोग शुरू किया। रसायन मुक्त खेती के इस मॉडल ने उनकी फसलों को न केवल स्वस्थ और उच्च गुणवत्ता का बनाया, बल्कि उनकी मांग भी बाजार में काफी बढ़ गई।
प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग और फसल की गुणवत्ता
कांतीभाई का खेती का तरीका पूरी तरह जैविक है। वे गोबर खाद, जैविक कचरे से बनी खाद, और केंचुआ खाद का उपयोग करते हैं। इन खादों से मिट्टी की उर्वरता में सुधार हुआ है और फसलों की गुणवत्ता बेहतर हो गई है। इससे उत्पादकता में वृद्धि हुई है और उनके उत्पाद बाजार में प्रीमियम दरों पर बिक रहे हैं।
कांतीभाई की फसल में पपीता, केला, चीकू, मिर्च और भिंडी शामिल हैं। इन उत्पादों को जैविक तरीके से उगाने पर उनका स्वाद और पोषण स्तर भी बेहतर होता है। आज ये उत्पाद केवल स्थानीय बाजारों में ही नहीं, बल्कि बड़े शहरों के जैविक उत्पादों के दुकानों में भी अपनी जगह बना चुके हैं।
बंपर कमाई
कांतीभाई अपने उत्पादों को नवसारी कृषि विश्वविद्यालय के पास बुधवार को और सूरत में रविवार को बेचते हैं। उनके जैविक उत्पादों की मांग इतनी अधिक है कि वे प्रतिदिन 10 से 12 हजार रुपये की कमाई कर रहे हैं। यह उनकी मेहनत, सही तकनीक, और जैविक खेती की सफलता का प्रमाण है। उनके ग्राहक भी उनके उत्पादों की गुणवत्ता को सराहते हैं और बार-बार खरीदने आते हैं।
जैविक खेती को बढ़ावा देने के प्रयास
गुजरात सरकार और अन्य संस्थाएं जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास कर रही हैं। नवसारी जिले में आत्मा प्रोजेक्ट और गुजरात नेचुरल डेवलपमेंट बोर्ड द्वारा जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिले में स्थापित प्राकृतिक खेती मॉडल फार्म को अब तक 2,428 किसान देख चुके हैं। इन किसानों को जैविक खेती के लाभ, तकनीक, और बाजार तक पहुंचने के तरीकों की जानकारी दी जाती है।
कांतीभाई पटेल जैसे किसान इन प्रयासों का लाभ उठाकर न केवल अपनी जमीन की उपजाऊ क्षमता को बढ़ा रहे हैं, बल्कि अपने जीवन स्तर में भी सुधार ला रहे हैं। वे जैविक खेती के माध्यम से बैंगन, मिर्च, हल्दी, केला और पपीता जैसे उत्पाद उगाकर बंपर कमाई कर रहे हैं।
जैविक खेती से जुड़े लाभ
जैविक खेती केवल किसानों के लिए ही नहीं, बल्कि उपभोक्ताओं और पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है। यह खेती पर्यावरण की रक्षा करती है, मृदा की गुणवत्ता को बनाए रखती है, और उपभोक्ताओं को स्वस्थ, रसायन मुक्त भोजन प्रदान करती है।