बिहार भूमि सर्वेक्षण (Bihar Land Survey) राज्य सरकार द्वारा चलाया जा रहा एक महत्वपूर्ण अभियान है, जिसका उद्देश्य भूमि मालिकों की पहचान करना और उनकी संपत्तियों का आधिकारिक रिकॉर्ड तैयार करना है। इस प्रक्रिया में भूमि से संबंधित कई जटिल मामलों, जैसे मृतक जमीन मालिक, बंटवारा, दस्तावेज़ों की कमी, और विवादित संपत्तियों को व्यवस्थित रूप से दर्ज करने की कोशिश की जाती है।
लेकिन, कई लोगों के मन में इस प्रक्रिया को लेकर सवाल हैं। खासतौर पर तब, जब जमीन का मालिक अब जीवित नहीं है या संपत्ति के वैध दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं हैं। इस लेख में, हम इन सभी पहलुओं को विस्तार से समझाएंगे और यह भी बताएंगे कि भूमि सर्वे में शामिल होने के लिए आपको किन दस्तावेज़ों और प्रक्रियाओं का पालन करना होगा।
मृतक जमीन मालिक के मामले में सर्वे की प्रक्रिया
सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार, भूमि सर्वेक्षण में मृतक व्यक्ति का नाम दर्ज नहीं किया जा सकता। यदि जमीन के कागजात किसी ऐसे व्यक्ति के नाम पर हैं जो अब जीवित नहीं हैं, तो उनकी संपत्ति पर अधिकार के लिए उनके सभी वैध उत्तराधिकारियों (वारिसों) के नाम शामिल किए जाएंगे।
यह प्रक्रिया कैसे होती है?
- जिस जमीन के मालिक की मृत्यु हो चुकी है, उनके वारिसों को पंचायत या नगर निकाय द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा।
- ग्राम सभा से पारित और पंचायत द्वारा प्रमाणित वंशावली (Genealogy) प्रस्तुत करना जरूरी है। यह वंशावली परिवार के उत्तराधिकारियों की पहचान स्थापित करने का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है।
- जिन भी वैध वारिसों का नाम वंशावली में शामिल है, उन्हें सर्वे में दर्ज किया जाएगा।
बंटवारा न होने पर प्रक्रिया
यदि संपत्ति पुश्तैनी है और परिवार में उसका बंटवारा नहीं हुआ है, तो सर्वेक्षण में सभी वारिसों के नाम संयुक्त रूप से शामिल किए जाएंगे। हालांकि, दस्तावेज़ों में पहले से दर्ज नाम (मूल मालिक) को प्राथमिकता दी जाएगी।
विवादित संपत्तियों का सर्वे
यदि जमीन का मामला कोर्ट में चल रहा है, तो सर्वे में मौजूदा मालिक का नाम जोड़ा जाएगा। साथ ही, केस का नंबर और विवरण भी दस्तावेज़ में दर्ज किया जाएगा। कोर्ट का निर्णय आने के बाद, सरकारी रिकॉर्ड में आवश्यक संशोधन किए जाएंगे।
बिना दस्तावेज़ के भूमि पर अधिकार कैसे साबित करें?
कई बार ऐसी स्थितियां होती हैं जब जमीन के पुराने दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं होते, जैसे रजिस्ट्री या खातियान। ऐसी स्थिति में भी आप कुछ वैकल्पिक प्रमाणों के माध्यम से अपने अधिकार को साबित कर सकते हैं।
विकल्प 1: खातियान का उपयोग
खातियान, जिसे भूमि रिकॉर्ड भी कहा जाता है, आपके पुश्तैनी जमीन की जानकारी के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है। इसमें जमीन का मालिकाना हक और विवरण दर्ज होता है। अगर जमीन पुश्तैनी है और बंटवारा नहीं हुआ है, तो खातियान से जानकारी निकलवाई जा सकती है।
विकल्प 2: पुरानी रसीद का उपयोग
यदि रजिस्ट्री और खातियान दोनों उपलब्ध नहीं हैं, तो पुरानी रसीद या जमीन से संबंधित कोई अन्य दस्तावेज़, जो आपके मालिकाना हक को प्रमाणित करता हो, सर्वे में प्रस्तुत किया जा सकता है।
विकल्प 3: पंचायत प्रमाण पत्र और वंशावली
- पंचायत से प्रमाणित वंशावली (Genealogy) बनवाएं।
- वंशावली बनाने के लिए पांच गवाहों की आवश्यकता होगी, जो यह पुष्टि कर सकें कि आप जमीन के वैध वारिस हैं।
- यदि आपके पास पहले से वंशावली नहीं है, तो इसे बनवाने के लिए पंचायत कार्यालय में आवेदन करें।
विकल्प 4: ग्राम सभा का प्रमाण
ग्राम सभा के स्तर पर आपकी जमीन की पहचान और स्वामित्व की पुष्टि करवाई जा सकती है। पंचायत द्वारा प्रमाणित दस्तावेज़ आपके स्वामित्व को साबित करने में मदद करेंगे।
इन प्रक्रियाओं का पालन कर आप आसानी से अपनी संपत्ति पर अधिकार को साबित कर सकते हैं।
सर्वे में अन्य आवश्यक बातें
- अगर संपत्ति का बंटवारा हो चुका है, तो वारिसों को अपने हिस्से की पुष्टि के लिए जरूरी दस्तावेज़, जैसे कि बंटवारे का एग्रीमेंट या कोर्ट का निर्णय, प्रस्तुत करना होगा।
- जिन संपत्तियों का बंटवारा नहीं हुआ है, उनके लिए सर्वेक्षण में संयुक्त नाम दर्ज किए जाएंगे।
- यदि रजिस्ट्री पूरी नहीं हुई है या प्रक्रिया लंबित है, तो वर्तमान दस्तावेज़ों के आधार पर अस्थायी नामांकन किया जाएगा।
- कोर्ट में लंबित मामलों के लिए, सर्वेक्षण में अस्थायी रूप से मौजूदा दस्तावेज़ों में दर्ज मालिक का नाम जोड़ा जाएगा। कोर्ट के निर्णय के बाद नामांकन में संशोधन किया जाएगा।