दिल्ली की सड़कों पर एक बार फिर किसानों के संघर्ष की गूंज सुनाई दे रही है। हजारों किसान ग्रेटर नोएडा यमुना प्राधिकरण से निकलकर संसद का घेराव करने की योजना बना रहे हैं। उनकी मुख्य मांगों में बढ़ा हुआ मुआवजा और अधिकृत जमीन का 10% विकसित हिस्सा शामिल है। किसानों का कहना है कि लंबे समय से उनकी मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा है, जिससे उनकी नाराजगी बढ़ गई है।
नोएडा-दिल्ली बॉर्डर पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। 5000 सुरक्षाकर्मियों, जिसमें 1000 PAC के जवान भी शामिल हैं, को तैनात किया गया है। वाटर कैनन, वज्र वाहन, और आंसू गैस जैसे साधन तैयार रखे गए हैं ताकि किसी भी स्थिति को नियंत्रित किया जा सके।
महामाया फ्लाईओवर से होते हुए दिल्ली कूच
किसान संगठनों ने घोषणा की है कि वे महामाया फ्लाईओवर के जरिए दिल्ली की ओर बढ़ेंगे। रविवार को प्रशासन और किसानों के बीच लंबी बातचीत हुई, लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका। किसानों ने इसके बाद दिल्ली कूच का फैसला किया। उनका कहना है कि अलग-अलग अथॉरिटीज़ पर धरना देने के बावजूद उनकी आवाज़ नहीं सुनी गई।
#WATCH | Noida: Shivhari Meena, Joint CP says, " We are in constant talks with farmers regarding the 'Delhi Chalo' march. Yesterday also we spoke to them for 3 hours. We have also prepared a 3-tier security plan…around 5,000 Police personnel are conducting checking at various… pic.twitter.com/PQYJlGACV9
— ANI (@ANI) December 2, 2024
पुलिस और प्रशासन की तैयारियां
नोएडा पुलिस के एडिशनल कमिश्नर लॉ एंड ऑर्डर शिव हरी मीणा ने स्थिति को गंभीर बताया। उन्होंने कहा कि किसानों को रोकने और समझाने की पूरी कोशिश की जा रही है। प्रशासन ने रविवार को ही वैकल्पिक मार्गों और डायवर्जन के निर्देश जारी कर दिए थे ताकि ट्रैफिक जाम से बचा जा सके। फिर भी, नोएडा में कई जगह जाम की स्थिति बनी हुई है।
सुरक्षा का व्यापक बंदोबस्त
सुरक्षा के लिए 5000 से अधिक जवान तैनात किए गए हैं। वाटर कैनन और टीयर गैस जैसे उपकरणों का इंतजाम किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि अगर किसान अपनी योजना पर अड़े रहते हैं, तो उन्हें दिल्ली में प्रवेश करने से रोका जाएगा।
किसानों की पांच मुख्य मांगें
किसानों ने अपनी मांगों को लेकर एक स्पष्ट रुख अपनाया है। उनकी पांच प्रमुख मांगें हैं:
- अधिग्रहित जमीन का उचित मुआवजा।
- जमीन के 10% हिस्से का विकास कर वापस सौंपा जाना।
- किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का पक्का कानून।
- कृषि कर्ज माफी।
- भूमि अधिकारों को लेकर स्पष्ट नीति।
किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होंगी, वे अपने आंदोलन को और तेज करेंगे।