केंद्रीय विद्यालयों (KVs) और जवाहर नवोदय विद्यालयों (JNVs) में संविदा यानी कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स को स्थायी रूप से नियुक्त करने का कोई प्रावधान नहीं है। यह जानकारी शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने लोकसभा में दी। उन्होंने बताया कि संविदा शिक्षक केवल अस्थायी जरूरतों को पूरा करने के लिए नियुक्त किए जाते हैं। रिटायरमेंट, ट्रांसफर और छुट्टियों के चलते खाली पड़े पदों को भरने और बच्चों की पढ़ाई में रुकावट को रोकने के उद्देश्य से इन शिक्षकों को रखा जाता है।
शिक्षा मंत्री ने जोर दिया कि संविदा शिक्षकों को स्थायी नियुक्ति देना संभव नहीं है क्योंकि उनकी भूमिका विशेष परिस्थितियों में छात्रों की पढ़ाई के निरंतरता को बनाए रखने तक ही सीमित है। इन शिक्षकों की नियुक्ति का उद्देश्य शैक्षणिक प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की बाधा से बचना है।
संविदा शिक्षकों की जरूरत क्यों पड़ती है?
जब कोई शिक्षक रिटायर होता है, स्थानांतरण लेता है या लंबी छुट्टी पर चला जाता है, तो स्कूल में खाली पदों की वजह से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो सकती है। यही वजह है कि ऐसे पदों को अस्थायी रूप से भरने के लिए संविदा शिक्षकों की नियुक्ति की जाती है। यह सुनिश्चित करता है कि स्कूल की शैक्षणिक गतिविधियां बिना किसी रुकावट के चलती रहें और छात्रों का शैक्षणिक भविष्य सुरक्षित रहे।
संविदा शिक्षकों को उनके काम के आधार पर वेतन मिलता है और उनकी सेवाओं की अवधि भी सीमित होती है। शिक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि इन शिक्षकों की नियुक्ति स्थायी शिक्षकों की कमी को पूरा करने का एक अस्थायी समाधान है।
KVs और JNVs में संविदा शिक्षकों की स्थिति
शिक्षा राज्य मंत्री ने बताया कि KVs और JNVs में संविदा शिक्षकों को पक्की नौकरी देने का कोई प्रावधान नहीं है। उत्तर प्रदेश के KVs का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में कुल 974 नियमित शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। इनमें 19 पीजीटी (PGTs), 516 टीजीटी (TGTs) और 439 पीआरटी (PRTs) शामिल हैं। इसके अलावा, जवाहर नवोदय विद्यालयों में कक्षा 6 से 12 तक के लिए 226 नियमित पदों को मंजूरी दी गई है। इनमें 173 टीजीटी और 53 पीजीटी के पद शामिल हैं।
मंत्री ने यह भी बताया कि KVs और JNVs की शिक्षक भर्ती प्रक्रिया समय-समय पर आयोजित की जाती है। नियमित पदों को भरने के लिए केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) और नवोदय विद्यालय समिति (NVS) द्वारा निर्धारित योग्यता मानदंडों के तहत शिक्षकों का चयन किया जाता है।
कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स के लिए भविष्य की योजना
यह पूछे जाने पर कि क्या संविदा शिक्षकों को स्थायी करने की कोई योजना है, मंत्री ने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई प्रावधान फिलहाल नहीं है। संविदा शिक्षक केवल अस्थायी अवधि के लिए नियुक्त किए जाते हैं। यह नियुक्ति छात्रों की पढ़ाई को रुकावट से बचाने के लिए होती है, जब तक कि स्थायी शिक्षक उपलब्ध न हो जाएं।
मंत्री ने कहा कि शिक्षकों की स्थायी भर्ती एक व्यवस्थित प्रक्रिया के तहत की जाती है, जिसमें पात्र उम्मीदवारों को योग्यता और अनुभव के आधार पर नियुक्त किया जाता है। संविदा शिक्षकों को इस प्रक्रिया के जरिए स्थायी नियुक्ति का अवसर नहीं दिया जाता क्योंकि उनका कार्यकाल अस्थायी जरूरतों को पूरा करने तक सीमित होता है।
बच्चों की पढ़ाई में बाधा रोकने के लिए यह कदम क्यों जरूरी है?
शिक्षा के क्षेत्र में निरंतरता सबसे महत्वपूर्ण होती है। बच्चों के सीखने की प्रक्रिया में कोई रुकावट न हो, यह सुनिश्चित करना सरकार और स्कूल प्रशासन दोनों की जिम्मेदारी है। यही कारण है कि जब नियमित शिक्षक अनुपलब्ध होते हैं, तो संविदा शिक्षक उनकी जगह लेते हैं।
संविदा शिक्षकों की नियुक्ति से यह सुनिश्चित होता है कि बच्चों की पढ़ाई का स्तर गिरने न पाए। इसके अलावा, इससे स्कूल प्रशासन को यह समय मिलता है कि वह खाली पड़े पदों को स्थायी रूप से भरने के लिए उचित कदम उठा सके।