बोर्ड परीक्षा 2025: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 2025 की बोर्ड परीक्षाओं के लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिनका उद्देश्य छात्रों के शैक्षणिक अनुभव को बेहतर बनाना और उन्हें समग्र विकास का अवसर प्रदान करना है। ये बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप किए गए हैं, जो व्यावहारिक शिक्षा, कौशल विकास और समझ आधारित मूल्यांकन पर ज़ोर देते हैं। इन परिवर्तनों में उपस्थिति, परीक्षा पैटर्न, मूल्यांकन प्रक्रिया, और पाठ्यक्रम में बदलाव जैसे पहलुओं को शामिल किया गया है।
आइए इन बदलावों को विस्तार से समझें और जानें कि ये छात्रों के लिए कैसे फायदेमंद साबित हो सकते हैं।
1. न्यूनतम उपस्थिति का नियम
CBSE ने 2025 की बोर्ड परीक्षाओं में बैठने के लिए छात्रों के लिए न्यूनतम 75% उपस्थिति अनिवार्य कर दी है।
- क्या है नियम?
छात्रों को परीक्षा में उपस्थित होने के लिए 75% उपस्थिति आवश्यक होगी।
यह नियम 10वीं और 12वीं दोनों कक्षाओं पर लागू होगा।
उपस्थिति की गणना 1 जनवरी 2025 तक की जाएगी। - छूट के प्रावधान:
विशेष परिस्थितियों जैसे कि चिकित्सा आपात स्थिति, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में भागीदारी या अन्य गंभीर कारणों में छात्रों को 25% तक छूट दी जा सकती है।
इस छूट का लाभ उठाने के लिए छात्रों को संबंधित प्रमाण पत्र स्कूल में जमा करने होंगे। - नियम का उद्देश्य:
इस नियम का उद्देश्य छात्रों को नियमित रूप से कक्षा में भाग लेने और अनुशासन विकसित करने के लिए प्रेरित करना है।
उपस्थिति के लाभ
- नियमित कक्षाओं से छात्रों को पाठ्यक्रम को बेहतर ढंग से समझने का मौका मिलेगा।
- कक्षा में उपस्थिति छात्रों को शिक्षकों और सहपाठियों के साथ जुड़ने का अवसर प्रदान करती है।
- नियम छात्रों में अनुशासन और जिम्मेदारी की भावना विकसित करेगा।
- स्कूल में उपस्थिति छात्रों को खेल, कला और अन्य सह-शैक्षणिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित करेगी।
2. कौशल-आधारित प्रश्न
CBSE ने 2025 की बोर्ड परीक्षाओं में कौशल और क्षमता आधारित प्रश्नों की संख्या में वृद्धि की है।
- क्या बदला है?
10वीं कक्षा में 50% और 12वीं कक्षा में 40% से बढ़ाकर 50% प्रश्न कौशल-आधारित होंगे।
इन प्रश्नों में बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs), केस स्टडी, और समस्या-समाधान पर आधारित प्रश्न शामिल होंगे।
प्रश्न रटने की बजाय समझ और व्यावहारिक ज्ञान का परीक्षण करेंगे। - राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 से प्रेरणा:
यह बदलाव NEP 2020 के अनुरूप है, जो व्यावहारिक और कौशल-आधारित शिक्षा पर बल देती है।
कौशल-आधारित प्रश्नों के फायदे
- विषयों की बेहतर पकड़ और व्यावहारिक अनुप्रयोग की क्षमता।
- केस स्टडी और समस्या आधारित प्रश्न छात्रों की सोचने की क्षमता को मजबूत करते हैं।
- खुले अंत वाले प्रश्न छात्रों की रचनात्मकता को प्रोत्साहित करेंगे।
- ये प्रश्न छात्रों को वास्तविक जीवन की चुनौतियों के लिए तैयार करते हैं।
3. आंतरिक मूल्यांकन
CBSE ने छात्रों के समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए आंतरिक मूल्यांकन के महत्व को बढ़ाया है।
- कैसे होगा मूल्यांकन?
कुल अंकों का 40% आंतरिक मूल्यांकन पर आधारित होगा।
इसमें प्रोजेक्ट, असाइनमेंट, और आवधिक परीक्षाओं का समावेश होगा।
शेष 60% अंक बोर्ड परीक्षा से आएंगे। - लाभ:
आंतरिक मूल्यांकन छात्रों के प्रदर्शन का एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करेगा।
यह छात्रों को पूरे वर्ष अध्ययन के लिए प्रेरित करेगा और अंतिम परीक्षा पर निर्भरता को कम करेगा।
आंतरिक मूल्यांकन के लाभ
- तनाव में कमी: केवल अंतिम परीक्षा पर निर्भरता कम होने से छात्रों का तनाव कम होगा।
- विविध कौशलों का मूल्यांकन: प्रोजेक्ट और असाइनमेंट छात्रों के विभिन्न कौशलों का आकलन करेंगे।
- निरंतर प्रगति: छात्रों का पूरे वर्ष मूल्यांकन किया जाएगा, जिससे उनकी प्रगति पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा।
4. पाठ्यक्रम में बदलाव और ओपन बुक परीक्षा
CBSE ने छात्रों को राहत देने और उनकी रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए पाठ्यक्रम में 15% तक कटौती की है।
- पाठ्यक्रम में बदलाव:
2025 के पाठ्यक्रम में 15% तक की कटौती की गई है, ताकि छात्रों को अधिक समझने और व्यावहारिक शिक्षा का मौका मिले। - ओपन बुक परीक्षा:
चुनिंदा विषयों में ओपन बुक परीक्षा का प्रावधान किया गया है।
यह छात्रों को दिए गए संदर्भ सामग्री के आधार पर सवालों का उत्तर देने का अवसर देगा।
डिजिटल मूल्यांकन
कुछ विषयों में डिजिटल मूल्यांकन प्रणाली लागू की जा रही है, जो मूल्यांकन प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी और निष्पक्ष बनाएगी।
CBSE द्वारा 2025 के लिए लागू किए गए ये बदलाव न केवल छात्रों के शैक्षणिक प्रदर्शन को बेहतर बनाएंगे, बल्कि उनके समग्र व्यक्तित्व विकास में भी योगदान देंगे। ये नियम शिक्षा प्रणाली को अधिक व्यावहारिक, कौशल-आधारित और समावेशी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं। छात्रों को अब रटने की बजाय समझ और व्यावहारिक ज्ञान पर ध्यान केंद्रित करना होगा, जिससे वे भविष्य की चुनौतियों के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो सकें।