भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकिंग नियमों का उल्लंघन करने पर 5 सहकारी बैंकों के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। यह जानकारी आरबीआई ने 14 नवंबर 2024 को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में दी। इन बैंकों पर केंद्रीय बैंक के दिशा-निर्देशों का पालन न करने और प्रक्रियागत लापरवाही के गंभीर आरोप हैं।
आरबीआई की इस कार्रवाई में पश्चिम बंगाल और गुजरात के बैंक शामिल हैं, जिन पर मौद्रिक जुर्माना लगाया गया है। आइए विस्तार से जानते हैं कि किन बैंकों पर जुर्माना लगा और इसके क्या कारण रहे।
पश्चिम बंगाल के बैंक पर भारी जुर्माना
जयनगर मोजिलपुर पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड
- जुर्माने की राशि: ₹6.34 लाख
- कारण:
- वित्त वर्ष 2022-23 के लिए पीसीएल (Priority Sector Lending) लक्ष्य प्राप्त करने में विफलता।
- SIDBI पुनर्वित्त कोष में निर्धारित राशि जमा न करना, भले ही चेतावनी पत्र जारी किया गया हो।
- यह चूक बैंकिंग नियमों के गंभीर उल्लंघन को दर्शाती है, जिससे बैंक पर बड़ा जुर्माना लगाया गया।
गुजरात के तीन बैंकों पर सख्त कदम
1. वीजापुर नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड
- जुर्माने की राशि: ₹1 लाख
- कारण:
- अंतर-बैंक जोखिम सीमा (Interbank Counterparty Risk Limit) का पालन न करना।
- ग्राहक संबंध स्थापित करते समय KYC (Know Your Customer) प्रक्रिया को सही ढंग से लागू न करना।
2. नवानगर को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, जामनगर
- जुर्माने की राशि: ₹2.50 लाख
- कारण:
- एक फर्म को ऐसा लोन स्वीकृत करना, जिसमें निदेशक का रिश्तेदार गारंटर था।
- अपनी बैलेंस शीट में आरबीआई द्वारा लगाए गए जुर्माने का उल्लेख करने में विफलता।
3. लालबाग सहकारी बैंक लिमिटेड, वडोदरा
- जुर्माने की राशि: ₹1 लाख
- कारण:
- वित्त वर्ष 2022-23 के लिए पीसीएल लक्ष्य प्राप्त करने में चूक।
- SIDBI पुनर्वित्त कोष में समय पर राशि जमा न करना।
गुवाहाटी अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर जुर्माना
गुवाहाटी अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर ₹80,000 का जुर्माना लगाया गया।
कारण:
- खातों के जोखिम वर्गीकरण (Risk Classification) की समय पर समीक्षा में विफलता।
- ग्राहकों के KYC रिकॉर्ड को 10 दिनों के भीतर CKECR पर अपलोड न करना।
- क्रेडिट जानकारी (Credit Information) को CIC (Credit Information Companies) को प्रस्तुत करने में असफलता।
आरबीआई की सख्ती के मायने
भारतीय रिजर्व बैंक की इस कार्रवाई का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी बैंक प्रूडेंशियल नॉर्म्स (Prudential Norms) और ग्राहक सुरक्षा दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करें। सहकारी बैंकों की विफलता न केवल उनकी वित्तीय स्थिरता को प्रभावित करती है, बल्कि ग्राहकों के हितों को भी खतरे में डालती है।