भारत में तेजी से बढ़ रही गिग इकोनॉमी के अधिकांश श्रमिक अब तक किसी भी कल्याणकारी योजना के तहत कवर नहीं थे। इस स्थिति को सुधारने के लिए केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अपने ई-श्रम पोर्टल को गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए भी खोलने का निर्णय लिया है। यह कदम गिग वर्कर्स को राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ दिलाने में सहायक होगा।
ई-श्रम पोर्टल और सामाजिक सुरक्षा
ई-श्रम पोर्टल, जो पहले से ही देश के असंगठित श्रमिकों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस है, अब गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए भी उपलब्ध होगा। केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने बताया कि इस पोर्टल पर पंजीकरण करने वाले श्रमिकों को सार्वजनिक जीवन और दुर्घटना बीमा जैसी सुविधाएं मिलेंगी।
गिग इकोनॉमी का विस्तार
भारत की गिग इकोनॉमी तेजी से बढ़ रही है। आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार, 2029-30 तक यह आंकड़ा 23.5 मिलियन तक पहुंच सकता है, जो 2020-21 के 7.7 मिलियन श्रमिकों की तुलना में तीन गुना अधिक है। इस बढ़ती हुई श्रमिक संख्या के बावजूद, अधिकांश गिग वर्कर्स अब तक किसी भी कल्याणकारी योजना के तहत पंजीकृत नहीं थे।
सामाजिक सुरक्षा कोड 2020
सामाजिक सुरक्षा कोड 2020, जो गिग इकोनॉमी को भी कवर करता है, गिग वर्कर्स की भूमिकाओं को औपचारिक रूप से स्वीकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस कोड के तहत गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा के विभिन्न लाभों का लाभ मिल सकता है, जो पहले से ही असंगठित श्रमिकों के लिए उपलब्ध हैं।
ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण प्रक्रिया
श्रम मंत्रालय ने यह सुनिश्चित करने के लिए एग्रीगेटर्स और प्लेटफार्म-चालित कंपनियों से कहा है कि वे सभी गिग वर्कर्स का ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण कराएं। इसके लिए एक ऑनलाइन विंडो उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे पंजीकरण प्रक्रिया को सुचारू और कुशल बनाया जा सके।
गिग वर्कर्स के लिए संभावित लाभ
ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण करने वाले गिग वर्कर्स को मुफ्त राशन, वार्षिक यात्रा भत्ता, और सार्वजनिक बीमा जैसे लाभ मिलेंगे। इससे न केवल उनकी आर्थिक सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि उनकी सामाजिक स्थिति में भी सुधार होगा।
वर्ष | गिग वर्कर्स की अनुमानित संख्या |
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2020-21 | 7.7 मिलियन |
2029-30 | 23.5 मिलियन |
सरकार के इस कदम से देश की गिग इकोनॉमी को औपचारिक रूप से एक पहचान मिलेगी और इसमें काम करने वाले श्रमिकों को आवश्यक सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलेगा। हालांकि, यह देखना बाकी है कि सभी राज्य इस कोड को कब तक लागू करेंगे, जिससे गिग वर्कर्स को वांछित लाभ मिल सकें।