वित्त मंत्रालय ने देश के क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) को सशक्त और कुशल बनाने के लिए उनका चौथा चरण का विलय शुरू किया है। इस प्रक्रिया के बाद, वर्तमान में 43 आरआरबी की संख्या घटकर 28 रह जाएगी। इस विलय का मकसद ग्रामीण इलाकों में बैंकिंग सेवाओं को और मजबूत करना है, ताकि ग्रामीण विकास में तेजी लाई जा सके।
इन राज्यों में होंगे क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का विलय
यह विलय आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान जैसे राज्यों में किया जाएगा। आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा चार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक हैं, वहीं उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में तीन-तीन बैंक हैं। इन बैंकों का आपस में समेकन किया जाएगा ताकि एक राज्य में एक ही आरआरबी रह सके। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में स्थित बैंकों के बीच परिसंपत्तियों और देनदारियों का पुनर्गठन भी इसी योजना का हिस्सा है।
विलय का उद्देश्य और लाभ
वित्तीय सेवा विभाग ने इस प्रक्रिया को ‘एक राज्य, एक आरआरबी’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए जरूरी बताया है। इसका उद्देश्य यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों की संख्या भले ही घटाई जाए, लेकिन उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि हो और वे कम लागत में बेहतर सेवा दे सकें। इसके जरिए ये बैंक अपनी स्थानीयता और ग्रामीण समुदायों के साथ संबंध बनाए रखेंगे और किसानों व कारीगरों को अधिक सुलभ सेवाएं दे सकेंगे।
RRB की संख्या 43 से घटकर 28
इस विलय प्रक्रिया के लिए एक योजना बनाई गई है, जिसे राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के साथ मिलकर तैयार किया गया है। इससे RRB की संख्या 43 से घटकर 28 हो जाएगी। वित्तीय सेवा विभाग ने इस समेकन योजना पर 20 नवंबर तक प्रायोजक बैंकों से सुझाव भी मांगे हैं। केंद्र सरकार ने 2004-05 में इस प्रकार का पहला समेकन शुरू किया था, जिससे RRB की संख्या 196 से घटकर 43 हो गई थी।
आरआरबी में हिस्सेदारी
1976 में आरआरबी की स्थापना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों, कृषि मजदूरों और छोटे कारीगरों को ऋण और वित्तीय सेवाएं प्रदान करना था। इन बैंकों में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत है, जबकि 35 प्रतिशत प्रायोजक बैंकों और 15 प्रतिशत राज्य सरकारों के पास है। 2015 में हुए एक संशोधन के बाद, इन बैंकों को पूंजी जुटाने के लिए अन्य स्रोतों से भी निवेश का अवसर दिया गया।
वित्त मंत्रालय की इस पहल से ग्रामीण बैंकिंग को अधिक व्यवस्थित और सशक्त बनाने की उम्मीद है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा मिलेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।