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Property Rights: दादा की प्रॉपर्टी पर पोते का कितना अधिकार, जान लो सारे नियम-कानून

भारत में पैतृक संपत्ति पर पोते का जन्मसिद्ध अधिकार होता है, जबकि दादा की व्यक्तिगत कमाई हुई संपत्ति पर उनका अधिकार नहीं बनता। इस कानूनी जानकारी से परिवारों को संपत्ति विवादों में स्पष्टता मिल सकती है और अनावश्यक कानूनी उलझनों से बचा जा सकता है।

By PMS News
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Property Rights: दादा की प्रॉपर्टी पर पोते का कितना अधिकार, जान लो सारे नियम-कानून
Grandson’s right on grandfather’s property

Property Rights: भारत में संपत्ति के बंटवारे का सवाल बहुत पुराना और संवेदनशील है। खासकर जब बात पैतृक संपत्ति की आती है, तो परिवारों में अक्सर विवाद पैदा हो जाते हैं। कई लोग यह समझ नहीं पाते कि दादा की संपत्ति पर पोते का हक कितना होता है। आज हम इसी मुद्दे को सरल शब्दों में समझाने की कोशिश करेंगे ताकि आप कानूनी अधिकारों को बेहतर तरीके से जान सकें और अनावश्यक विवादों से बच सकें।

पैतृक संपत्ति का क्या अर्थ है?

पैतृक संपत्ति वह संपत्ति होती है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक अपने आप हस्तांतरित होती है, जैसे कि परदादा से दादा को मिली, दादा से पिता को मिली और पिता से पुत्र तक पहुंची। इस तरह की संपत्ति पर परिवार के सभी पुरुष सदस्यों का जन्मसिद्ध अधिकार होता है। भारतीय कानून के अनुसार, यदि यह संपत्ति पैतृक है तो पोते का जन्म से ही इस पर अधिकार हो जाता है। इसमें किसी तरह की वसीहत या अन्य दस्तावेज़ी प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं होती।

पैतृक संपत्ति पर पोते का अधिकार

कानून के अनुसार, पैतृक संपत्ति पर पोते का अधिकार जन्मसिद्ध होता है। इसका मतलब है कि अगर संपत्ति आपके परदादा से आपके दादा को मिली थी और फिर आपके पिता को मिली, तो इस पर पोते का स्वाभाविक अधिकार है। इस प्रकार की संपत्ति का बंटवारा सभी योग्य सदस्यों में समान रूप से किया जा सकता है और इसमें किसी तरह के कानूनी दस्तावेज़ की आवश्यकता नहीं होती। पैतृक संपत्ति का बंटवारा पारिवारिक रिवाजों के अनुसार किया जा सकता है और इसमें सभी का समान हक होता है।

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दादा की व्यक्तिगत अर्जित संपत्ति पर पोते का अधिकार

हालांकि, यदि संपत्ति आपके दादा की व्यक्तिगत मेहनत और आय से अर्जित की गई है, तो इस पर पोते का जन्मसिद्ध अधिकार नहीं होता है। इस प्रकार की संपत्ति को व्यक्तिगत संपत्ति कहा जाता है, और इसके संबंध में दादा को पूर्ण अधिकार होता है कि वे इसे किसे सौंपना चाहते हैं। दादा इस संपत्ति का उपयोग अपनी इच्छानुसार कर सकते हैं और वे इसे अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति के नाम पर वसीयत कर सकते हैं। इस प्रकार की संपत्ति का हस्तांतरण परिवार की अगली पीढ़ी में तभी संभव होता है जब दादा ने इसके लिए वसीयत तैयार की हो या वे अपनी इच्छा से इसे अगली पीढ़ी को देना चाहें।

बिना वसीयत के संपत्ति का क्या होता है?

यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और उनके पास कोई वसीयत नहीं है, तो उनकी संपत्ति कानूनी रूप से उनके उत्तराधिकारियों को हस्तांतरित होती है। सामान्यतया, इसके पहले हकदार उनकी पत्नी होती हैं और फिर उनके बेटे। इस स्थिति में पोते का अधिकार तभी माना जाता है जब वह संपत्ति पैतृक हो या परिवार के अन्य कानूनी अधिकारों का पालन किया जा रहा हो।

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