Family Pension New Rules: पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने हाल ही में सरकारी पेंशन के नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। अब सरकारी कर्मचारियों की पेंशन में उनकी बेटियों का नाम अनिवार्य रूप से शामिल किया जाएगा। यह कदम इस उद्देश्य से उठाया गया है कि सरकारी कर्मचारियों की बेटियों को उनके माता-पिता की पेंशन से वंचित न किया जाए। कई बार कर्मचारी अपनी बेटियों के नाम को पेंशन से हटवा देते थे, जिससे उनके भविष्य में आर्थिक सुरक्षा का सवाल उठता था। नए नियमों के अनुसार पेंशन के आवेदन में बेटियों का नाम जोड़ा जाना अनिवार्य होगा।
बेटियों को पेंशन का अधिकार
पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने स्पष्ट किया है कि केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 2021 के तहत, हर प्रकार की बेटी — चाहे वह अविवाहित हो, विवाहित हो या विधवा हो — पेंशन में शामिल होगी। इसमें सौतेली और गोद ली गई बेटियां भी शामिल हैं। साथ ही, यह भी नियम है कि अगर बेटी मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग है, तो उसे तब तक पेंशन का अधिकार रहेगा, जब तक उसकी शादी नहीं हो जाती या वह आर्थिक रूप से स्वावलंबी नहीं हो जाती।
विकलांग बच्चों का प्राथमिक अधिकार
अगर किसी सरकारी कर्मचारी के परिवार में कोई बच्चा विकलांग है, तो उसे पेंशन में प्राथमिकता दी जाएगी। इसके बाद बेटियों का नंबर आएगा, जो अब परिवार का अटूट हिस्सा मानी जाएंगी।
फैमिली पेंशन क्या है?
फैमिली पेंशन का उद्देश्य परिवार को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है। जब किसी सरकारी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो उनके परिवार को एक निश्चित रकम फैमिली पेंशन के रूप में दी जाती है। इस पेंशन में कर्मचारी अपने परिवार के सदस्यों के नाम शामिल कर सकता है ताकि उसकी मृत्यु के बाद उसके परिवार को आर्थिक मदद मिलती रहे।