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Power Of Attorney कितनी तरह की होती है? जानें किस सिचुएशन में कौन-सी करनी चाहिए इस्तेमाल

Power of Attorney सिर्फ एक दस्तावेज नहीं, बल्कि आपके कानूनी अधिकारों की चाबी है। लेकिन क्या आप जानते हैं, कि इसकी कितनी किस्में होती हैं, और किस सिचुएशन में कौन-सी बनवाना सही होता है? एक गलत कदम आपकी या आपके अपनों की संपत्ति और फैसलों पर भारी पड़ सकता है। जानें पूरी जानकारी, ताकि आप रहें पूरी तरह सुरक्षित।

By PMS News
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लाइफ में ऐसे कई काम पड़ जाते हैं, जिनको अपने लिए ही करने में मजबूरी लगती है, जैसे अपने परिवार को छोड़कर विदेश में रहना या अचानक किसी बीमार पड़ जाना ज्यादा उम्र होने पर भी अपने काम खुद करने में मुश्किल होती है। जिस हालत में हर कोई व्यक्ति अपने किसी भरोसेमंद साथी को अपने कामों की जिम्मेदारी सौंपना चाहता है। जिसके लिए एक कानूनी दस्तावेज बनता है, जिसे पावर ऑफ अटॉर्नी (Power of Attorney) कहा जाता है।

Power Of Attorney कितनी तरह की होती है? जानें किस सिचुएशन में कौन-सी करनी चाहिए इस्तेमाल
Power Of Attorney कितनी तरह की होती है? जानें किस सिचुएशन में कौन-सी करनी चाहिए इस्तेमाल

यह दस्तावेज अधिकार दाता (जो अधिकार देता है) और अधिकार ग्रहिता (जो अधिकार लेता है) के बीच होता है। इसमें तय होता है, कि कौन-कौन से काम उस व्यक्ति की ओर से किए जा सकते हैं। भारत में Power of Attorney को मान्यता प्राप्त है, और इसका उपयोग अलग-अलग परिस्थितियों पड़ जाने पर किया जा सकता है।

क्या है पावर ऑफ अटॉर्नी और क्यों होती है इसकी जरूरत?

पावर ऑफ अटॉर्नी (Power of Attorney) एक कानूनी दस्तावेज है, जो किसी व्यक्ति को यह अधिकार देता है, कि वह किसी दूसरे व्यक्ति की तरफ से कानूनी, प्रॉपर्टी, बैंक, स्वास्थ्य या किसी और मामले में फैसला ले सके। जब कोई व्यक्ति खुद निर्णय लेने में सक्षम नहीं होता –जैसे विदेश में है, बीमार है, या बूढ़ा हो गया है, तब वह अपने किसी भरोसेमंद व्यक्ति को यह अधिकार दे सकता है। इस तरह वह व्यक्ति उसकी तरफ से जरूरी फैसले ले सकता है।

General Power of Attorney – सामान्य जिम्मेदारियों के लिए

General Power of Attorney
General Power of Attorney

जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (General Power of Attorney) का मतलब है ऐसा दस्तावेज जिसमें एजेंट को कई तरह के काम करने का अधिकार दिया जाता है। इसमें प्रॉपर्टी बेचना या खरीदना, बैंक से लेन-देन करना, टैक्स भरना, किसी कंपनी को चलाना जैसे काम शामिल होते हैं।

लेकिन ध्यान दें अगर आप मानसिक या शारीरिक रूप से कमजोर हो जाते हैं और निर्णय लेने में अक्षम हो जाते हैं, तो यह सामान्य POA अपने आप खत्म हो जाता है।

Durable Power of Attorney जब आप निर्णय न ले पाएं तब भी

Durable Power of Attorney
Durable Power of Attorney

ड्युरेबल पावर ऑफ अटॉर्नी (Durable Power of Attorney) बिल्कुल जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी की तरह ही होता है, लेकिन इसमें एक खास बात होती है – यह उस समय भी वैध रहता है जब आप फैसला लेने में अक्षम हो जाएं।

जैसे कोई व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार हो जाए या मानसिक स्थिति ठीक न रहे, तब भी उसका एजेंट उसकी तरफ से काम करता रह सकता है। यह पावर तब तक चलता है जब तक व्यक्ति की मृत्यु नहीं हो जाती या दस्तावेज में लिखा गया काम पूरा नहीं हो जाता।

Special Power of Attorney –खास काम के लिए

Special Power of Attorney
Special Power of Attorney

स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी (Special Power of Attorney) एक सीमित अधिकार वाला दस्तावेज होता है। इसमें एजेंट को कोई एक विशेष काम के लिए अधिकार दिया जाता है – जैसे प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन कराना, बैंक से एक बार पैसा निकालना, या अदालत में एक बार पेश होना।

जब वह काम पूरा हो जाता है, तो यह पावर ऑफ अटॉर्नी अपने आप खत्म हो जाती है।

Special Power of Attorney –स्वास्थ्य से जुड़े फैसलों के लिए

मेडिकल पावर ऑफ अटॉर्नी (Medical Power of Attorney) उस समय काम आता है जब कोई व्यक्ति इतना बीमार हो जाता है कि वह अपने इलाज से जुड़े फैसले खुद नहीं ले सकता।

ऐसे में वह पहले से ही किसी अपने करीबी को यह अधिकार दे सकता है कि जब उसकी तबीयत खराब हो जाए, तो वह उसकी तरफ से डॉक्टर से बात करके सही इलाज का फैसला ले सके।

Springing Power of Attorney जरूरत पड़ने पर वाला अधिकार

स्प्रिंगिंग पावर ऑफ अटॉर्नी (Springing Power of Attorney) एक तरह से छिपा हुआ अधिकार होता है, जो केवल खास परिस्थिति आने पर ही लागू होता है।

जैसे अगर कोई व्यक्ति कोमा में चला जाए, या कोई गंभीर बीमारी हो जाए, तब यह दस्तावेज एक्टिव होता है और एजेंट को काम करने का अधिकार मिलता है। यह उन लोगों के लिए अच्छा विकल्प होता है जो चाहते हैं कि जब तक वे स्वस्थ हैं, तब तक कोई और उनके काम में दखल न दे।

पावर ऑफ अटॉर्नी कैसे बनवाएं?

भारत में पावर ऑफ अटॉर्नी बनवाना ज्यादा मुश्किल नहीं है। इसके लिए आप किसी वकील की मदद ले सकते हैं। वकील इस दस्तावेज का ड्राफ्ट तैयार करता है, और उसे स्टंप पेपर पर लिखा जाता है। फिर इसे नोटरी या सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में जाकर रजिस्टर्ड करवाना होता है। अगर मामला अचल संपत्ति (जैसे – जमीन, मकान) से जुड़ा हो, तो उसका रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी होता है।

भारत में पावर ऑफ अटॉर्नी के लिए शुल्क और जरूरी बातें

भारत में पावर ऑफ अटॉर्नी के लिए स्टंप ड्यूटी ₹100 से शुरू होती है। लेकिन अगर यह संपत्ति से जुड़ी हो, तो इसकी फीस अधिक हो सकती है। यह राज्य और संपत्ति की कीमत पर निर्भर करता है।

इसके लिए जरूरी शर्तें होती हैं –

  • आपकी उम्र 18 साल से ज्यादा होनी चाहिए
  • आपके पास आधार कार्ड, पासपोर्ट या कोई सरकारी पहचान पत्र होना चाहिए
  • आप मानसिक रूप से स्वस्थ होने चाहिए ताकि आप खुद यह अधिकार देने का निर्णय ले सकें

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